अरुण जेटली जी भारतीय राजनीति के सबसे तेजस्वी, ओजस्वी, प्रतिभाशाली, सभ्य, संभ्रांत, विनम्र, मृदुभाषी और पढ़े-लिखे
नेताओं में से थे। किसी भी मुद्दे को हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में सरलता से समझाने वाला उन जैसा कोई दूसरा वक्ता मौजूदा भारतीय राजनीति में नहीं था। यहां तक कि भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भी अंग्रेज़ी में भी हिन्दी जैसी ही प्रखरता से नहीं बोल पाते थे।
यह अरुण जेटली ही थे, जिन्होंने यूपीए-2 (2009-2014) के दौरान मनमोहन सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्यसभा में बीजेपी की तरफ से मोर्चा संभाल रखा था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी जिस ऊंचाई पर है, उसके लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेताओं को तो क्रेडिट दीजिए, लेकिन 2009 से 2014 के दौरान स्वर्गीय सुषमा स्वराज और स्वर्गीय अरुण जेटली ने जिस कुशलता से क्रमशः लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई, उसे भी कभी नहीं भुलाया जा सकता।
बीजेपी के लिए दुर्भाग्य की बात यह रही कि पिछले कुछ महीनों में एक-एक करके उसके तीन दिग्गज नेता बेहद कम उम्र में ही चल बसे- पहले मनोहर पर्रिकर, फिर सुषमा स्वराज और अब अरुण जेटली। 70 से भी कम उम्र में इतने प्रतिभाशाली नेताओं की एक पूरी पीढ़ी समाप्त हो जाना देश के लिए भी कम शोक, सदमे और क्षति की बात नहीं है।
यह मेरी खुशकिस्मती ही थी कि कुछ मौकों पर मुझे भी अरुण जेटली जी से स्नेह और सम्मान पाने का अवसर मिला। उन्हें मेरा शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस अपार दुख से उबरने की हिम्मत दें।
अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार