नई दिल्ली।बेहद गरीब, पिछड़े, अनपढ़ और वंचित अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों को कोई भी देश अपने यहां शरण देने को तैयार नहीं है। म्यांमार के भागकर भारत आए इन रोहिंग्या मुसलमानों को देश भी शरण देने को तैयार नहीं। भारत इन रोहिंग्याओं को देश से निकालना चाहता है। लेकिन आपने सोचा है कि आखिर इन रोहिंग्या मुसलमानों के साथ ऐसा क्यों होता है कि उन्हें हमदर्दी के बजाए तिरस्कार मिलता है। भारत भी मान रहा है कि रोहिंग्या मुसलमान देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। इन मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया ।केंद्र सरकार ने कहा कि भारत में अवैध रूप से रह रहे 40000 रोहिंग्या मुसलमान देश में नहीं रह सकते है, क्योंकि वो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते है।
खुफिया जानकारी के मुताबिक कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए हैं। सरकार को डर है कि आईएसआईएस इनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है। इसी की वजह से कोई भी देश इसने सहानुभूति के बजाए उनपर शक करता है और इन्हें देश से भगाना चाहता। खुद म्यांमार ने भी 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाने के बाद इनकी नागरिकखत्म कर दी और उन्हें देश छोड़ने के लिए मज बूर कर दिया था। अब भारत भी इन 40000 रोहिंग्याओं को अपने यहां से हटाना चाह रहा है