एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोटबंदी कर देश को डिजिटल और कैशलेस इकॉनोमी का पाठ पढ़ा रहे हैं, डिजिटल इकॉनोमी के माध्यम से कालाधन और भ्रष्टाचार को खत्म करने के सपने दिखा रहे हैं वहीं दूसरी ओर एक शख्स ठीक उसी दौरान देश के 7 लाख से ज्यादा लोगों को डिजिटल माध्यम से रातों रात लखपति बनने के सपने दिखाकर महज 90 दिनों में 3700 करोड़ का चूना लगा गया।
व्हिसल ब्लोअर ने खोली पोल
भला हो उस व्हिसल ब्लोअर का जिसने इस मामले पर नजर रखी उसकी पोल खोली और पुलिस को सतर्क किया। पिछले पांच साल में 1 लाख डेढ़़ लाख और दो लाख का व्यापार करने वाली कंपनी महज नब्बे दिनों में 3700 करोड़ का कारोबार कर गई। उत्तर-प्रदेश एसटीएफ ने सोशल ट्रेडिंग के नाम पर लगभग 3700 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। इस मामले में एसटीएफ ने कंपनी के मालिक Anubhav Mittal सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। नोएडा और गाजियाबाद से संचालित होने वाली इस कंपनी ने रातों रात इतना बड़ा कारोबार कैसे खड़ा कर लिया इसकी तह में जाने पर पता चलता है कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने का लालच देकर इस कंपनी ने लोगों को बेवकूफ बनाया और पैसे जमा करते गए।
गाजियाबाद में एक बैंक खाते में मिले 450 करोड़
गाजियाबाद में ही इस कंपनी के एक बैंक खाते में लगभग 450 करोड़ रुपए मिले हैं जिसे सीज कर दिया गया है। एसटीएफ ने ये गिरफ्तारियां नोएडा के सेक्टर-63 के एफ ब्लॉक में चल रही कंपनी से की। एसटीएफ के मुताबिक, इन लोगों ने लगभग सात लाख लोगों से पोंजी स्कीम के जरिए डिजिटल मार्केटिंग के नाम पर इतनी बड़ी ठगी को अंजाम दिया है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने मीडिया सरकार को बताया कि एसटीएफ को सूचना मिली थी कि सेक्टर-63 के एफ ब्लॉक में अब्लेज इन्फो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने पोंजी स्कीम के तहत लोगों से फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। जांच के दायरे में आने पर कंपनी ने पिछले 1 डेढ़ महीने में अलग अलग वेबसाइट्स बनाकर अपने ग्राहकों से क्लिक करने को कहा।
कैसे करते थे फ्रॉड
उन्होंने बताया कि कंपनी लोगों को सोशल ट्रेड बिज पोर्टल से जोड़ने के लिए अलग अलग स्कीम में 57500 तक कंपनी एकाउंट में जमा करने को कहती थी। उसके बाद हर सदस्य को पोर्टल पर चलने वाले विज्ञापन को लाइक करने के लिए हर क्लिक पर घर बैठे पांच रुपए मिलते थे। हर सदस्य को अपने नीचे दो और लोगों को जोड़ना होता था, जिसके बाद सदस्य को अतिरिक्त पैसे मिलते थे। 57500 रुपए जमा करने वालों को पहले रोजाना 250 क्लिक करने को मिलता था और हर रोज उनके खाते में पैसा जमा हो जाता था। बाद में क्लिक की संख्या घटाकर 200 कर दी गई और रोजाना की जगह हफ्ते में एक बार देना शुरु किया गया।
जांच अधिकारियों ने खुलासा किया कि कंपनी अपने विज्ञापन खुद डिजाइन कर पोर्टल पर डालती थी और सदस्यों से लिए गए पैसे को उन्हीं को वापस करती थी। प्रवर्तन एजेंसी से बचने के लिए यह कथित कंपनी लगातार नाम बदल रही थी। पहले सोशल ट्रेड बिज, www.socialtradebiz.com फिर फ्री हब डॉटकाम www.freehub.com से www.intamat.com इंटामाट डॉटकाम, थ्री डब्ल्यू डॉटकाम www.threew.com , www.frenzz.up के नाम से यह कंपनी लोगों से फर्जीवाड़ा कर रही थी। अधिकारियों ने बताया कि कंपनी अब इन जमा पैसों के साथ फरार होने का प्लान बना चुकी थी। इस कंपनी के बनाए गए कुछ सदस्यों ने भी गौतमबुद्धनगर थाना फेस-3 और थाना सूरजपुर में कंपनी की धोखाधड़ी को लेकर मामला दर्ज कराया था।
सोशल मीडिया प्रमोशन का यह रेट नहीं है
सोशल मीडिया पर पब्लिसिटी करने वाली कंपनियों से बात करने पर पता चला कि किसी भी कंपनी या व्यक्ति से उनके प्रमोशन के लिए एक क्लिक के लिए पांच रुपए या उससे ज्यादा किसी भी कीमत पर चार्ज नहीं किया जा सकता। अगर यह कंपनी अपने ग्राहकों को पांच रुपए देती है तो निश्चित तौर पर उन कंपनियों से ज्यादा लेती होगी। लेकिन हकीकत यह है कि डिजिटल मार्केंटिंग में प्रमोशन का यह रेट नहीं है और बड़ी से बड़ी कंपनियां 2 रुपए से ज्यादा एक क्लिक के लिए खर्च नहीं करती। साथ ही जिस किस्म की वेबसाइट्स और फेसबुक पेज को प्रमोट करने के लिए दिया जाता है उनमें से ज्यादातर निष्क्रिय हैं तो आखिर वो कैसे इस कंपनी को इतना पैसा देती होंगी।
सेलिब्रेटीज के बहाने रिझाने में माहिर
लोगों को झांसे में लाने के लिए अनुभव मित्तल पांच सितारा होटलों में बड़ी बड़ी पार्टियां करता था औऱ सेलिब्रेटीज को बुलाकर अपने ग्राहकों को लुभाने का हरसंभव प्रयास करता था। पुलिस के आलाधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान एसटीएफ को पता चला कि कंपनी अब तक लगभग सात लाख लोगों से पोंजी स्कीम के जरिए सोशल ट्रेडिंग के नाम पर लगभग 37 अरब रुपए का फर्जीवाड़ा कर चुकी है। जांच के बाद एसटीएफ ने कंपनी के मालिक अभिनव मित्तल, श्रीधर और महेश को गिरफ्तार कर लिया. इस कंपनी की लगभग 500 करोड़ की धनराशि का पता लगाकर एसटीएफ ने इसका खाता सीज करा दिया है।
एक के बाद एक कई कंपनियां
अनुभव मित्तल ने अपने कई मित्रों के साथ पहली कंपनी सन 2010 में बनाई थी, जिस कंपनी का कारोबार ठीक से नहीं चला और उस कंपनी पर कई मामले दर्ज हुए। कंपनी पर लिए गए लोन और कंपनी के नाम पर खरीदी गई गाड़ियों की किस्त नहीं चुका पाने के मामले में डिफाल्टर भी हुआ। बाद में कंपनी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर इस बाबत जानकारी भी प्रकाशित की गई। अनुभव के अलावा उस कंपनी में तीन और दूसरे हिस्सेदार थे लेकिन उन निदेशकों के नाम कोई दूसरी कंपनी रजिस्टर्ड नहीं है। अनुभव मित्तल ने बाद में सारी कंपनियां अपने और अपनी पत्नी अायुशी अग्रवाल के नाम पर बनाई। दिसंबर महीने में अनुभव मित्तल ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक के बाद एक तीन कंपनियां बनाई। 7 दिसंबर को 3 डब्ल्यू डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड, 29 दिसंबर को इंप्रेस इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड और 30 दिसंबर को सोशल ट्रेड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई। जिस चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म के जरिए अनुभव मित्तल ने यह कारोबार खड़ा किया है वो भी जांच के दायरे में है।