मीडिया सरकार पर छपे वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के लेख “मनमोहन से 18 रुपये लीटर महंगा पेट्रोल और डीज़ल बेच रहे हैं मोदी” पर राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ी हुई है। इंटरनेट पर इस लेख को अब तक लाखों लोग पढ़ चुके हैं और शेयर कर रहे हैं। मीडिया सरकार के पन्ने पर भी इस लेख के पक्ष-विपक्ष में तमाम टिप्पणियां आ रही हैं, जो काफी रोचक भी हैं। इनमें से कुछ यहां देखें-
Naresh Kochhar · Plant Supervisor at Bombay. Kanpur Ne
Once the Political System selects a government to govern the Country for five years, we have to abide by their decision on pricing of all commodities including ENERGY sources, to fulfill a long term objective such as “SUSTAINABLE / NON POLUTING DEVELOPMENT!”
लगता है ब्लॉग लिखने वाला पक्का इकोनोमिक्स को पोगो समझ रखा है!
देश की अर्थव्यवस्था में तेल सबसे बड़ी भूमिका निभाता है! जहां तक सरकारी कर्ज का सवाल है, वो अब बिल्कुल बंद है और कर्ज दिया जा रहा है!
किसी तरह की सब्सिडी पेट्रोल और उसके प्रोडक्ट पर नहीं रही! घरेलू एलपीजी पर भी अंकुश लग चुका है! ऐसे में सस्ते तेल से जो फायदे हुए, उनसे कर्ज और सब्सिडी ख़त्म की जा रही है और आम जनता के लिए भी तेल के रेट में कम से कम २० रुपये तक की प्रति लीटर कमी की गयी है! पर अलग-अलग स्टेट के अपने टैक्स के कारण तेल की कीमत हर क्षेत्र में अलग-अलग है!
मुझे याद है पूरी सब्सिडी और कर्ज लेकर ७३ रुपया मनमोहन के समय में पेट्रोल भरवाया था। आज ६२ रुपया भरवा रहा हूँ! तो कौन सी कीमत बढ़ गयी महोदय!
Surajbhan Sharma · NA at CRPF
और अन्तरराष्ट्रीय बाजार मे कीमत भी मनमोहन जी के समय वाली ही है? या आप ज्यादा इन्टेलिजेन्ट हैं? सरकार लोगों को बेवकूफ समझे, तो समझ में आता है, लेकिन हर कोई?
Deepak Kumar · Gurgaon, Haryana
Anil Sir, Make me correct if I am wrong.
Raw oil is cheaper than the previous government’s time, than why rates are still same?
रेट बढ़ जाए तो Government have no control on department और कम हो जाए तो हमने किया है?
People were shouting that previous govt have looted India by lot of scams… 2G/3G or Coal or whatever (3-4 Lakh Crores)
Agreed! This government is not doing any scam than where is that money?
We have been promised that people will get Rs. 15 Lakh in each Bank account. we are still waiting!
Unemployment is still there. Pulses rates were maximum 55 Rs/Kg… Now we are buying it 130 Rs/Kg.
Boss… People really don’t require Bullet Trains, but they require Safe Journey and confirm Seats to sit, as they are buying the tickets.
Boss, I am not in favor of government name, but I am in favor of governance or delivery on what they have committed, when they were asking for vote, at the time of elections!
अंधभक्तों की आंखों पर पट्टी बंधी है, उनको कुछ दिखाई नहीं देता। मनमोहन सिंह ने चुपचाप काम किया और यह सरकार सिर्फ शोर मचाती है। मुद्दे पर बात होनी चाहिए, भावनात्मक नहीं।
किसान आत्महत्या पर राजनीति करने वाली बीजेपी के राज में किसान आत्महत्या भी रिकार्डतोड़ बढ़ी है।
जवानों की Disability pension आधी कर दी।
एक बेरोजगार पूछता है, मोदी जी आपने कहा था दो करोड़ लोगो को हर साल नौकरी देंगे। आपने तो जितनी भर्ती पहले हो रही थी, वो भी आधी कर दी।
एक गरीब और आम आदमी पूछता है मोदी जी आपने सौ दिन में मंहगाई कम करने का वादा किया था। आप मंहगाई कम करने की कोशिश भी करते तो समझ में आता, लेकिन आपने सर्विस टैक्स 12 से 15% और वैट बढ़ाकर मंहगाई बढाने का काम किया। आपने आम और गरीब आदमी की सवारी रेलगाड़ी का किराया 14% बढ़ाकर गरीब और आम आदमी की कमर तोड़ने का काम किया। आपका सौ दिन में मंहगाई कम करने का वादा कब पूरा होगा? गरीब आदमी की थाली से आपने जो दाल-रोटी छीन ली, वह दोबारा कब नसीब होगी?
आम आदमी से आपने वादा किया तीन महीने में काला धन वापस लाएंगे और प्रत्येक को 15 लाख रुपये मिलेंगे। मोदी जी आपका यह वादा कब पूरा होगा?
रिटेल व्यापारी पूछता है मोदी जी आपने कांग्रेस के एफडीआई इन रिटेल का विरोध किया था और इसे जनविरोधी बताया था। आपकी इस एफडीआई विरोधी नीति के कारण रिटेल व्यापारियों ने आपको वोट दिया, लेकिन आपने में सता में आते ही कांग्रेस की नीतियां अपना लीं और एफडीआई इनके रिटेल तो क्या, हर क्षेत्र में लागू कर दी। अगर कांग्रेस शासन में एफडीआई लागू करना देशहित में नही था, तो आपके सता में आते ही यह देशहित में कैसे हो गया?
आज स्वर्ण व्यापारी पूछता है कि जब यूपीए ने 2012 में स्वर्ण कारोबार पर एक प्रतिशत एक्साइज लगाया, तो मोदी जी, बीजेपी और आपने जनविरोधी बताते हुए संसद के अंदर और बाहर इसका विरोध किया। आपने तब कहा था कि अगर स्वर्ण पर एक्साइज लगा दी गई, तो इंस्पेक्टर राज शुरू हो जाएगा और बीजेपी के जबरदस्त विरोध के चलते कांग्रेस को एक्साइज लगाने का फैसला वापिस लेना पड़ा। आपकी स्वर्ण एक्साइज विरोधी नीति के कारण स्वर्ण व्यापारियों ने आपको वोट दिया, लेकिन सता में आते ही आपने स्वर्ण कारोबार पर एक्साइज लगा दी। मोदी जी, ज़रा बताएंगे कि यूपीए का वो जनविरोधी फैसला आपकी सरकार बनते ही जनहित में कैसे हो गया?
‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा देकर सता में आप आए, लेकिन आपकी सरकार बनते ही ना दलित सुरक्षित रह गया, ना अल्पसंख्यक।
उनको भी छोड़िए। हिंदू से गोरक्षा का वादा करके सता में आप आए और आपने ही सब्सिडी देकर नए बूचड़खाने खुलवा दिए और देश को गोमांस का निर्यातक नंबर वन बना दिया। बीजेपी शासित राज्यों की गोशालाओं में रोज़ सैंकड़ों गाएं सुविधाओं की कमी और भ्रष्टाचार से मर रही हैं। मोदी जी, गोमाता की इस दयनीय स्थिति के लिए आपकी सरकार क्यों जिम्मेदार नहीं?
Amit Karwasra · MD College Sri Ganganagar
आज कांग्रेस वाले ये आंकडे दिखा रहे हैं। जब इनकी सरकार थी, तब इन लोगों ने क्यों दाम बढने दिये? इसका मतलब सरकार से बाहर होते ही जनता का भला याद आ जाता है और सरकार आते ही जनता जाये भाड में?
Absar Mallick · Works at Waldorf Astoria Ras al Khaimah
You know why … cause the international petrol prices was 140$ per barrel at the time of congress… but now at present it’s 46$ per barrel… study first please…
Amit Karwasra · MD College Sri Ganganagar
सब कुछ देखा हुआ और समझा हुआ है अबशार भाई। मुझे पढ़ने की ज़रूरत नहीं है। मै तो एक ही बात जानता हूँ कि कांग्रेस वाले लुटेरे हैं। मोदी देश का पैसा बर्बाद नहीं कर रहा और ना अपना घर भर रहा है। जो तेल का ज्यादा वसूल रहा है, वो देश के ही काम आयेगा। मैं बस ये ही जानता हूँ, ना इसके आगे जानना चाहता हूँ।
Deepak Kumar · Gurgaon, Haryana
Absar Mallick Sir, if there is difference of $94 in each barrel, than people should get the benefit…
Harish Nirola · Patiala, India
कांग्रेस के ज़माने में कच्चा तेल, जो इम्पोर्ट होता था, उसकी कीमत बहुत ज़्यादा थी। शायद पूरा लेख पढ़ा नहीं लगता।
68 साल में भी हिन्दुस्तान के लोग नेताओं का छल-कपट नहीं समझ पाए।
Jitendra Singh · Jamshedpur Worker’s College
भाई, महंगाई के अच्छे दिन। इनके पॉकेट में पैसे जाने चाहिए। फिर कभी कुर्सी मिले या न मिले।
डिस्क्लेमर : लेख पर बहस में पाठकों द्वारा पेश किए गए आंकड़ों और तथ्यों की मीडिया सरकार ज़िम्मेदारी नहीं लेता। वे पाठकों की निजी राय और जानकारी पर आधारित हैं।