जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी की परिभाषा बदल ली, उनके मंत्री ने राशन कार्ड पाने को गाली बना दिया उसी तरह लगता है केंद्र की मोदी सरकार अच्छे दिन को व्यंग्य और उपहास का उदाहरण बना कर ही दम लेगी। भारतीय रेल मंत्री हीं जब प्रभू हों तो रेल की माया तो लीला से कम क्या होगी। रेल बजट में किराया नहीं बढ़ाने का प्रस्ताव पेश करने के बाद सरकार में पिछले दरवाजे से आए मंत्री किराया भी कुछ उसी अंदाज में बढ़ा रहे हैं, धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना टाइप । अब देखिए जरा महज दस फीसदी ट्रेन टिकट बुक होने के बाद आपका किराया भी दस फीसदी बढ़ जाएगा। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ेगी दाम बढ़ेगा, कसीनो टाइप । अब सरकार के सिपहसालारों को कौन समझाए कि ट्रेन में सफर जरुरत से करते हैं किसी छमिया का नाच देखने नहीं जाते।
सरकार का यह फैसला भारतीय रेल में 9 सितंबर से लागू हो जाएगा, हवाई जहाज के किराए में ट्रेन का मजा लीजिए। अभी तक प्रीमियम ट्रेन और प्रीमियम तत्काल में ही घटते टिकट के साथ किराया बढ़ता था लेकिन 9 सितंबर के बाद राजधानी, शताब्दी और दुरंतो एक्सप्रेस में जैसे-जैसे बर्थ बुक होते जाएंगे, वैसे-वैसे ट्रेन का किराया डेढ़ गुना तक बढ़ जाएगा. निस्संदेह अगली मार मेल और एक्सप्रेस ट्रनों पर पड़ेगी।
सरकार की इस नई नीति को जरा गौर से पढ़िए
1) भारतीय रेलवे ने इसे फ्लेक्सी फेयर सिस्टम का नाम देते हुए ऐलान कर दिया है कि थर्ड और सेकेंड एसी वाली बर्थ का किराया ट्रेन में उस क्लास की कुल सीटों का 50 परसेंट सीट बुक होने के बाद डेढ़ गुना हो जाएगा लेकिन फर्स्ट एसी का किराया हर हाल में एक जैसा ही बना रहेगा.
2) राजधानी और दुरंतो एक्सप्रेस में थर्ड एसी और सेकेंड एसी का किराया 100 बर्थ में 10 बर्थ बुक हो जाने के बाद 10 परसेंट बढ़ जाएगा. मतलब जब ट्रेन की 100 में 90 सीट बची होंगी तो किराया 10 परसेंट बढ़ेगा. जब 80 सीट बचेंगी तो किराया 20 परसेंट ऊपर हो जाएगा. जब 70 सीट बचेंगी तो किराया 30 परसेंट बढ़ जाएगा और जब 60 सीट बचेंगी तो किराया 40 परसेंट बढ़ जाएगा.
3) 100 में 50 सीट बचने के बाद थर्ड और सेकेंड एसी का किराया 50 परसेंट बढ़ जाएगा और इसके बाद आखिरी बर्थ के बुक होने तक किराया 50 परसेंट ही ज्यादा रहेगा. राजधानी और दुरंतो की फर्स्ट एसी का किराया पहले बर्थ से लेकर आखिरी बर्थ के बुक होने तक एक जैसा ही रहेगा.
4) शताब्दी एक्सप्रेस में भी इसी तरह चेयरकार कोच की 100 सीट में 90 सीट बचने पर 10 परसेंट, 80 सीट बचने पर 20 परसेंट, 70 सीट बचने पर 30 परसेंट, 60 सीट बचने पर 40 परसेंट और 50 सीट या उससे कम सीट बचने पर 50 परसेंट ज्यादा किराया लगेगा. शताब्दी के भी एग्जीक्युटिव क्लास में किराया एक जैसा ही बना रहेगा.
5) इसके अलावा चार्ट बनने के वक्त भी अगर कोई सीट खाली है तो उसे करेंट बुकिंग के तहत बेचा जाएगा लेकिन उसका किराया उस क्लास के आखिरी टिकट के कटे किराए के बराबर होगा. ट्रेन के रिजर्वेशन चार्ट पर हर क्लास का आखिरी किराया यानी सबसे महंगा किराया भी दर्ज किया जाएगा ताकि लोग देख सकें कि किस क्लास की टिकट कितनी ऊंची बिकी.
आखिरी और थोड़ी राहत की बात यह है कि जिन लोगों ने 9 सितंबर के बाद के सफर के लिए राजधानी, शताब्दी या दुरंतो का टिकट कटा लिया है उनको कोई अतिरिक्त पैसा नहीं देना होगा लेकिन अब जो भी लोग कटाएंगे, उनको फ्लेक्सी फेयर सिस्टम के तहत डेढ़ गुना तक किराया देने के लिए तैयार रहना होगा.