एक तरफ सरकार नोटबंदी करके देश को डिजिटल मनी की दुनिया में लाना चाहती है दूसरी तरफ राष्ट्रीय चिह्न का डिजिटल और प्रिंट इस्तेमाल पर महज 500 रुपए जुर्माना लगाने का प्रावधान है। आपको याद होगा कि रिलायंस ने जियो की लॉन्चिंग के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विज्ञापनों में नरेंद्र मोदी की फोटो का इस्तेमाल किया था। रिलायंस जियो के विज्ञापन में पीएम की तस्वीर छापे जाने का राजनीतिक दलों ने जमकर विरोध किया था। किसी निजी कंपनी के विज्ञापन में बिना अनुमति के प्रधानमंत्री की तस्वीर छापे जाने को राजनीतिक दलों ने असंवैधानिक बताते हुए विरोध जताया था। बाद में नोटबंदी के अगले दिन डिजिटल मनी ट्रांजैक्शन वाली कंपनी पेटीएम ने भी प्रधानमंत्री की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों के गलत इस्तेमाल को लेकर बने 1950 के कानून के तहत इस मामले में सिर्फ 500 रुपए का जुर्माना लगाया जा जा सकता है।
प्रधानमंत्री के तस्वीर इस्तेमाल में पीएमओ की परमिशन नहीं ली गई थी। समाजवादी पार्टी के सासंद शेखर ने राज्य सभा में इस पर सवाल किया था। जवाब में सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने यह जानकारी दी। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि जियो को पीएमओ ने मोदी की फोटो इस्तेमाल करने की परमिशन नहीं दी थी। राठौड़ ने यह भी साफ किया कि DAVP (डायरेक्टोरेट ऑफ एडवर्टाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी) ही गवर्नमेंट से जुड़े विज्ञापन जारी करता है। ये किसी भी प्राइवेट बॉडी या ऑर्गेनाइजेशन के लिए एड रिलीज नहीं करता। उन्होंने बताया कि पीएम की तस्वीर एक्ट 1950 के तहत राज्य-चिह्न के दायरे में आती है।
कानूनन 30 से ज्यादा ऐसे फोटो और निशान हैं, जिनका भारत सरकार की परमिशन बगैर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन, अशोक चक्र और धर्म चक्र भी शामिल हैं।