लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाजवादी पार्टी ने आज लखनऊ में विशाल रैली की। बसपा सुप्रीमो मायावती की रैली में आज एक बार फिर से अपनी ताकत की नुमाइश की, लेकिन रैली में आज हंगामा मच गया और अचानक भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में कई लोग घायल हो गए, जबकि दो महिलाओं की मौत हो गई है।
पूर्व आयोजित इस रैली में जरुरत से ज्यादा लोग जमा हो गए थे, लेकिन इंतजाम उस मुताबिक नहीं हो सके थे। ऐसे में भगदड़ मची और बसपा की रैली ने दो लोगों की जान ले ली। सरकार ने फौरन 2 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान कर दिया, लेकिन किसी ने नहीं सोचा कि उन दोनों की मौत का कारण कौन हैं। हम आपको उन वजहों के बारे में बताते हैं, जिनकी वजह से इस रैली में भगड़ मची।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम ना होने के कारण ये भीषण हादसा हुआ। जिस समय वहां भगदड़ मची, उस समय भी मायावती मंच से भाषण दे रही थीं, जब बहुत ज्यादा वहां शोर-गुल मचा तब जाकर उन्होंने अपना संबोधन रोका।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो घटना कांशीराम स्मारक के मुख्य गेट पर हुई, रैली में लाउड स्पीकर बाहर की तरफ लगे थे इसलिए लोगों को मायावती की आवाज ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी। इस कारण लोग अचानक से बाहर निकलने लगे ताकि उन्हें मायावती की स्पीच सुनाई दे, लोग भारी तादात में गेट की तरफ बढ़े, जहां सुरक्षाबलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन लोग मान नहीं रहे थे।
लोगों को रोकने के लिए वहां तैनात सिक्युरिटी ने कुछ लोगों को डंडा दिखाया, जिसे देखकर कुछ लोग पीछे की तरफ अचानक मुड़ गए और चिल्लाने लगे की पुलिस डंडे मार रही है। ये बात सुनते ही लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, वहां भगदड़ मच गई।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कुछ लोगों ने ये भी अफवाह उड़ाई की सुरक्षाबल वाले लोगों को गेट से बाहर जाने से रोकने के लिए बिजली के तार गेट पर फैला दिए हैं, जिसके कारण लोग डरकर भागने लगे और भगदड़ मच गई। ये तो वो वजहें हैं जो चश्मदीदों ने सुनाई। लेकिन क्या इतनी बड़ी रैली के लिए सही इंतजाम करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी नहीं? क्या सिर्फ मुआवजे से मौत का दुख कम करने की कोशिश काफी हैं ?