भारतीय मूल के बिजनेमैन विनोद हांडा को पिछले दिनों ‘वर्ल्ड आईकॉन अवार्ड-2018’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनको बैंकॉक में एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया । अतंरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही संस्था एम.4.यू. ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। थाईलैंड में पिछले तीस सालों से रह रहे भारतीय मूल के श्री विनोद हांडा ने होटल व्यवसाय में अपनी अलग पहचान बनाई है। मीडिया सरकार ने विनोद हांडा से खास बातचीत की.
सवाल: सबसे पहले मीडिया सरकार में आपका स्वागत है
जवाब: जी बहुत धन्यवाद आपका
सवाल: हरिद्वार से फुकेट तक सफर आपकी नज़र में
जवाब: साफ़ नीयत और सच्ची श्रद्धा से जब आप कोई काम करते हैं और आपके बुज़ुर्गों का आशीर्वाद आपके साथ हो तो आप कहीं से कहीं पहुँच सकते हैं यह तो फिर भी हरिद्वार से फुकेट तक का ही सफ़र है.
सवाल : आपने कब और कैसे फ़ैसला किया कि आप हिंदुस्तान से बाहर आकर अपना कारोबार करेंगे .
जवाब : हम रोजगार के सिलसिले में थाइलैंड आए .. यहाँ आकर दुनिया देखी और फिर जीवन के थपेड़े खाए हम यहाँ आकर कारोबार करेंगे ऐसा तो सोचा ही नहीं था .. वो तो ईश्वर रास्ते खोलता गया . हम सिर्फ ईमानदारी से मेहनत कर सकते थे और हमने वही किया रिज़ल्ट आपके सामने है .
सवाल : अब आप अपने सफ़र को कैसे देखते हैं ?
जवाब : हमने किसी छोटी चीज़ को जिसको दुनिया छोटी समझती है कभी छोटा नहीं माना , हर छोटी छोटी चीज़ों में ख़ुशियाँ तलाशी , किसी काम को करने से मना नहीं किया बस वो काम ईमानदारी से होना चाहिए था .. काम करता गया , लोग जुड़ते गए , हरिद्वार से देहरादून फिर दिल्ली , बैंकॉक और अब पिछले तीस साल से फुकेट . बहुत ही संघर्ष और मेहनत का सफ़र रहा है. रात दिन काम किया है . पत्नी और बच्चों को जितन वक़्त चाहिए नहीं दे पाया लेकिन फिर भी उनको अच्छी शिक्षा और ज़िम्मेदार परवरिश देनी की कोशिश की. इतने सालों से भारत से दूर रहने पर भारत को दूर नहीं होने दिया और आज आप सब लोगों की शुभकामनाओं का असर है कि यह सम्मान मिला.
सवाल : जब आपको मालूम हुआ कि आपको world icon award मिलेगा तो आपका पहला रिएक्शन क्या था
जवाब : सम्मान मिलना बहुत बड़ी चीज़ है . हमें तो लगा ही नहीं कि हमने ऐसा कुछ कर दिया है जिससे हमें यह सम्मान मिल रहा है. इस सम्मान के लायक हमें समझने के लिये सभी ज्यूरी और टीम का बहुत बहुत शुक्रिया