ऱिपोर्ट- संजीव कुमार, वरिष्ठ पत्रकार, दिल्ली.
कंगना रनोत और राजकुमार राव की लीक से हटकर बनी फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’,खास अंदाज की फिल्म. सायकोलोजी के अलग-अलग पहलुओं पर बॉलीवुड और दूसरी फिल्म इंडस्ट्रीज ने कई बार अलग अलग एंगल से फिल्में बनायी है. ‘जजमेंटल है क्या’ इसी कड़ी में एक नई फिल्म है जो कुछ अलग भी है. यहां कहानी बॉबी (कंगना रनौत) जो एक्यूट साइकोसिस मानसिक बीमारी से ग्रसित है और केशव (राज कुमार राव) एक पेस्टिसाईड का काम करनेवाला है के बीच घूमती है.
निर्देशक प्रकाश कोवेलामुडी को इसी फिल्म के तेलुगू वर्जन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था
बॉबी जिस बीमारी से ग्रसित है उसमें सच और झूठ के बीच में फर्क करना मुश्किल हो जाता है. बॉबी के साथ भी ऐसा ही होता है. बॉबी के घर केशव एक किराएदार के रूप में आता है .बॉबी केशव को पसंद करने लगती है . दूसरी तरफ पेशे से डबिंग आर्टिस्ट बॉबी अलग अलग किरदारों में अंदर तक घुस जाती है . कभी पुलिस इंस्पेक्टर तो कभी चुड़ैल के कैरेक्टर में बॉबी जीती है .उसके सामने जो घट रहा है सच लगने लगता है। ऐसे में बॉबी के यहां एक दंपत्ति किराएदार आते हैं और इनमें से केशव बॉबी को पसंद आने लगता है। लेकिन कुछ दिनों में केशव किशोर की पत्नी की रहस्यमय मृत्यु हो जाती है। बॉबी को पूरा शक है कि केशव ने ही अपनी पत्नी का खून किया है और वह यह पुलिस को बताती भी है। वहीं केशव को लगता है कि उसकी पत्नी का खून बॉबी ने किया है।पुलिस इसे एक्सीडेंट केस समझकर बंद कर देती है। मगर बॉबी के दिमाग में शक घर करके बैठ जाता है कि उसकी पत्नी का खून केशव ने ही किया है।
दमदार कहानी,मजेदार थ्रील्स,बेजोड़ निर्देशन और अभिनय,पर कमाई का लोचा
इस तरह आगे पूरी फिल्म का ताना बाना कई ट्वीस्ट भरे मोड़ो पर पहुंचकर दर्शकों को अंत तक बाँधे रहती है .मानसिक रोगी के कैरेक्टर को जिसतरह से कंगना ने पूरी फिल्म में निभाया है उसे कंगना ही कर सकती थी और इस फिल्म के निर्देशक प्रकाश कोवेलामुडी ही कर सकते थे.फिल्म में किरदार बहुत ही कम है तो जाहिर तौर पर फिल्म का सारा दारोमदार राजकुमार राव और कंगना के ही कंधे पर था। इन दोनों ने यह जिम्मेदारी बड़ी सफलता से निभाई है। राज कुमार राव ने भी अपने दमदार अभिनय से यह साबित किया है कि इन दिनों यूं ही नहीं उनके अभिनय का ग्राफ ऊंचाई की ओर बढ़ता जा रहा है.
कुल मिलाकर दमदार कहानी,मजेदार थ्रील्स,बेजोड़ निर्देशन और अभिनय के बाद फिल्म बनी तो काफी अच्छी लेकिन पूरी तरह से ये फिल्म व्यवसायिक स्तर पर कमाऊ नहीं बन पायी क्योंकि इसे मनोरंजक फिल्मों की कैटेगरी में रखा नहीं जा सकता. यह फिल्म लीक से हटकर बनी वो फिल्म है जिसकी एक अलग खासियत को एकबार तो देखनी ही चाहिये.