पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जाति आधारित गणना पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि सर्वे में खानापूर्ति की गई है। लोगों के घर गए बिना परिवार की संख्या लिख दी गई है। उन्होंने कहा कि इस सर्वे के माध्यम से लालू-नीतीश विरोधी जातियों की संख्या को कम करने की कोशिश की गई है।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में रविशंकर प्रसाद के साथ प्रेसवार्ता में पटना शहर के चार विधायक नंद किशोर यादव, नितिन नवीन, अरुण सिन्हा एवं संजीव चौरसिया ने भी जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर एक सुर में आपत्ति जताई। उन्होंने सरकार से वह आंकड़ा प्रकाशित करने की मांग की, जिससे यह पता चले कि कितने परिवार के मुखिया से सर्वे कर्मियों की मुलाकात हुई और उनका हस्ताक्षर लिया गया।
नहीं लिया मुखिया का हस्ताक्षर
इस मौके पर रविशंकर ने कहा कि मैं पटना साहिब का सांसद हूं और मेरे परिवार का सर्वे गलत तरीके से हुआ है। उन्होंने कहा कि सर्वे के फार्मेट में परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर या उसके अंगूठे का निशान लेना है। मेरे परिवार से सर्वे में मुझसे या परिवार के दूसरे सदस्य से कुछ नहीं पूछा गया। रिपोर्ट आने के बाद जब हमने अपने घर में पता किया तो पता चला कि गेट से ही पूछ कर कोई चला गया। इसके बाद मेरे परिवार का डिटेल खुद से भर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी ही शिकायतें मेरे मित्रों और पार्टी के कई नेताओं ने की।
संख्या का प्रकटीकरण होना चाहिए
उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वे में कायस्थ की संख्या को भी कम करके बताया गया है। पटना महानगर, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेतिया, मोतिहारी, छपरा, सिवान, भागलपुर, कटिहार और पूर्णिया आदि शहरों में अगर ईमानदारी से गणना की जाए तो जो संख्या बताई जा रही है, वह पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिस समाज से देश के पहले राष्ट्रपति आए, इतनी बड़ी संख्या में हाई कोर्ट के जज, वकील और वाइस चांसलर हैं, उनके प्रति क्या सरकार गंभीर है। सही संख्या का प्रकटीकरण होना चाहिए। भाजपा इस विषय को ऐसे नहीं छोड़ने वाली। ये लोगों का दर्द है। इसे और आगे ले जाया जाएगा।