बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 पदों के लिए शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन जारी हो गया है. बीपीएससी की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार 15 जून से 12 जुलाई 2023 तक पात्र अभ्यर्थी भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे. हालांकि, इस भर्ती में भाग लेने के लिए अभ्यर्थी के पास निश्चित योग्यता होनी चाहिए.
मील का पत्थर साबित हो सकती है यह बहाली
प्रो. शिव कुमार यादव ने बताया कि उनके विचार से यह बहाली बहुत ही क्रांतिकारी कदम है. क्योंकि, जनता का जो फीडबैक आया है और जिस तरह से 1994-99 के बाद दो दशकों में बहाली हुई है, उसके बाद इस तरह की बहाली की जरूरत भी थी. शिव कुमार की माने तो ये शिक्षा समाज के हर वर्ग को मजबूत आधार प्रदान करती है. साथ ही यह एक लेवलर का भी काम करती है. शिक्षा समाज में किसी भी तरह की गैर बराबरी को खत्म करती है और शिक्षक इसमें सबसे बड़ा रोल निभाते हैं. ऐसी दशा में अगर प्रतियोगिता के माध्यम से प्रतिभावान लोग शिक्षा जगत में आते हैं, तो राज्य की शिक्षा में उत्तरोत्तर सुधार जरूर देखने को मिलेगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि बीएड और अन्य प्रकार की पात्रता के कारण प्रतियोगिता थोड़ी कम हो गई है.
उन्होंने बताया कि अगर सैद्धांतिक रूप से देखा जाए तो प्रतियोगिता का मुख्य काम ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाशाली लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना होता है, जिससे अच्छे और प्रतिभावान अभ्यर्थी चुने जा सकें. उनकी माने तो निश्चित रूप से 1994 और 1999 में शिक्षक की जो योग्यता थी, वो इससे बेहतर कही जा सकती है. चुकी शिक्षकों को बाद में भी ट्रेनिंग दी जा सकती है. अगर इस बहाली में बीएड की अनिवार्यता नहीं होती तो प्रतिभागियों की संख्या के साथ प्रतियोगिता भी काफी बढ़ जाती. हालांकि, सरकार द्वारा निर्धारित की गई योग्यता के पीछे भी नई शिक्षा नीति से लेकर अन्य कई कारण मौजूद हैं.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की बहाली की जाएगी
अभ्यर्थी कुमार कुंदन सिन्हा ने बताया कि वे इस बहाली के आने से खुश हैं, क्योंकि इस बहाली के माध्यम से बहाल होने वाले शिक्षकों से बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिलेगा. उन्होंने सरकार के शिक्षक नियुक्ति के इस फैसले को सराहनीय बताया.