संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण जब 13 मार्च से शुरू हुआ तो फिर वह अखाड़ा बना ही रहा। सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच खास तौर दो मुद्दों ने ऐसा गतिरोध खड़ा कर दिया कि बजट पर चर्चा वाला महत्वपूर्ण सत्र भी पूरी तरह से धुल गया। अंतिम दिन गुरुवार को भी हंगामे के बीच संसद सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के बाद यह आंकड़े देश की सबसे बड़ी पंचायत की तस्वीर दिखाते हैं कि लोकसभा 45 घंटे तो राज्यसभा की कार्यवाही मात्र 31 घंटे ही चल सकी।
लोकसभा में सिर्फ 35 फीसदी हुआ काम
पिछले कुछ सत्रों से लोकसभा में कामकाज लगभग सौ फीसद हुआ करता था जो इस बार 35 फीसद से भी कम पर अटक गया। दरअसल, दूसरे चरण में कामकाज महज 5.29 फीसद हुआ। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ। पहला चरण 13 फरवरी तक चला, जबकि 13 मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण का अंतिम दिन गुरुवार को था। जिस तरह से सत्ता पक्ष और विपक्षी दल अपने-अपने मुद्दे पर अटके थे, उससे संकेत मिल गया था कि यह गतिरोध खत्म नहीं होगा और बजट सत्र का धुलना तय है। हुआ भी यही। हर दिन लोकसभा और राज्यसभा के दृश्य ‘रीप्ले’ की तरह ही दिखाई दिए।