सुबह से ही यूपीआई पेमेंट पर सरचार्ज की खबर को लेकर कोलाहल मचा हुआ है। जहां एक तरफ लोगों के बीच इस बात को लेकर टेंशन देखी जा रही है कि क्या अब डिजिटल पेंमेंट करने के लिए भी उनकी जेब पर बोझ बढ़ने वाला है। इससे जुड़े तमाम कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए अब यूपीआई सिस्टम ऑपरेट करने वाले नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने सफाई जारी कि है।
क्या है NPCI की सफाई में?
बता दें कि एनपीसीआई के बयान में कहा गया है कि यूपीआई से लेनदेन का सबसे पॉपुलर तरीका, किसी यूपीआई इनेबल्ड ऐप से अपने बैंक खाते को लिंक करके पेंमेट करना है। यूपीआई से होने वाले 99.9 प्रतिशत लेनदेन ऐसे ही होते है। इस तरह बैंक अकाउंट से बैंक अकाउंट के बीच होने वाले लेनदेन आगे भी मुफ्त बने रहेंगे। फिर चाहें इसे कस्टमर करें या मर्चेंट।
तो क्या है यूपीआई सरचार्ज?
एनपीसीआई की सफाई में यूपीआई सरचार्ज को भी क्लियर किया गया है। एनपीसीआई का कहना है कि हाल में भारतीय रिजर्व बैंक ने यूपीआई पेमेंट सिस्टम को इंटरऑपरेबल बनाने के निर्देश दिए थे. इसका मतलब ये हुआ कि एक तरह के पेमेंट सिस्टम से दूसरे तरह के पेमेंट सिस्टम के बीच ट्रांजेक्शन को आसान बनाना।
वहीं पहले कहा जा रहा था कि लेन-देन शुल्क की ऊपरी सीमा 1.1 प्रतिशत निर्धारित की गई है, 2,000 रुपये से ऊपर के प्रत्येक लेनदेन पर समान प्रतिशत के साथ शुल्क नहीं लिया जाएगा। इंटरचेंज की शुरूआत 0.5 प्रतिशत से 1.1 प्रतिशत की सीमा में है। उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ताओं को ईंधन खरीद के लिए किए गए UPIलेनदेन के लिए 0.5 प्रतिशत, दूरसंचार, उपयोगिताओं/डाकघर, शिक्षा और कृषि के लिए 0.7 प्रतिशत, सुपरमार्केट के लिए 0.9 प्रतिशत और म्यूचुअल फंड, सरकार, बीमा और रेलवे के लिए 1 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा।