प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हुए बनी BBC की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ आज ब्रिटेन में लंदन समेत जगह-जगह BBC के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन हुए। इंडियन डायसपोरा UK ने इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया।
लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम, न्यूकैसल और ग्लासगो में बीबीसी कार्यलय के बाहर स्थानीय ब्रिटिश भारतीय जमा हुए और सबने एक सुर में कहा कि BBC की ये डाक्यूमेंट्री एकतरफा है और इसके जरिए BBC ने भारत और भारत के प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने की कोशिश की है। ग्लासगो में इस आयोजन का नेतृत्व करते हुए प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने कहा कि बीबीसी अब सच्चाई की आवाज नहीं रह गई है बल्कि किसी निहित स्वार्थों को बढ़ावा दे रही है। ओवरसीज फ्रैंड्स ऑफ बीजेपी के महासचिव सुरेश मंगलगिरी ने कहा कि इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए बीबीसी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार और विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की है, साथ ही भारत में विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन के बीज डालने का काम किया है। ग्लासगो में इंडियन डायसपोरा की ओर से रिचा सिन्हा, पुनीत द्विवेदी और पूनम प्रजापति समेत तमाम भारतीय मौजूद थे।
द मोदी क्वेश्चन दो भाग में है
BBC ने इस महीने के मध्य और पिछले सप्ताह दो अलग-अलग एपिसोड्स में India: A Modi Question के नाम से इस डाक्यूमेंट्री का प्रसारण किया है। पहले एपिसोड में गोधरा कांड का मात्र जिक्र करते हुए बाद की घटनाओं को विस्तार से और एकतरफा होकर दिखाया गया है। दूसरे एपिसोड में ये बताया गया है भारत की मौजूदा सरकार की नीतियां मुस्लिम विरोधी हैं। दोनों एपिसोड देखने के बाद साफ-साफ पता चलता है कि ये एकतरफा होकर बनाया गया है। जिसमें BBC और इस डाक्यूमेंट्री बनाने वालों की मंशा निश्चित तौर पर भारत और भारतीय प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने की है। वैश्विक राजनीति पर मुखर होकर अपनी राय रखने वाले लॉर्ड पोपट ने BBC के डायरेक्टर जनरल को बकायदा एक पत्र लिखा है और कहा है कि ये निश्चित तौर पर एकतरफा डॉक्यमेंट्री है और इसे इस वक्त प्रदर्शित करना हर लिहाज से गलत है। साथ ही पोपट ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि इससे भारत और ब्रिटेन के संबंधों पर असर पड़ सकता है इतना ही नहीं ब्रिटेन में रह रहे भारतीय हिन्दू और मुसलमानों के बीच भेदभाव हो सकता है इसलिए किसी भी सूरत में इसे सही नहीं ठहराया जा सकता है।
नरेंद्र मोदी के शासनशैली पर सवाल
आपको बता दें डॉक्यूमेंट्री को एक तरफा कहे जाने के कई कारण हैं, जैसे कि उसमें ये तो बताया जा रहा है कि गुजरात में गोधरा में ट्रेन जलाए जाने के बाद दंगे हुए लेकिन ये नहीं बताया गया है मरने वालों में 27 महिलाएं और 10 बच्चे भी शामिल थे। दंगे में मुसलमानों की हत्या हुई ये बताया गया है लेकिन ये नहीं बताया गया है कि दंगे में 254 हिन्दुओं समेत 1044 लोगों की जान गई। इतना ही नहीं पुलिस ने कार्रवाई नहीं की ये कहा गय है लेकिन पुलिस की गोली से 77 हिंदू और 93 मुसलमानों की जान गई ये नहीं कहा गया है। इतना ही नहीं डॉक्यूमेंट्री मे नरेंद्र मोदी के शासनशैली पर सवाल उठाए गए हैं लेकिन ये नहीं बताया गया है कि गुजरात पहला ऐसा राज्य था जिसने दंगे रोकने के लिए महज 48 घंटे में सेना बुला ली थी। भारत में सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन पर पहले ही रोक लगा रखी है।