इंटरनेशनल बुकार प्राइज विजेता हिंदी साहित्य की पहली किताब ‘रेत-समाधि’ की मांग लगातार बढ़ रही है. कथाकार गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत-समाधि’ की महज 5 दिन में ही 35,000 से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं. ‘रेत-समाधि’ हिंदी की पहली किताब है जिसने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित यह पुरस्कार जीत कर इतिहास कायम किया है. अब पाठक जिस उत्साह से रेत-समाधि को खरीद रहे हैं वह भी हिंदी साहित्यिक पुस्तकों की ब्रिक्री के क्षेत्र में इतिहास रचनेवाला साबित हो रहा है. ‘रेत-समाधि’ उपन्यास राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है.
‘रेत-समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम ऑफ सैंड’ को इस वर्ष का इंटरनेशनल बुकर प्राइज दिए जाने की घोषणा 26 मई को की गई थीं. रेत समाधि का अनुवाद ‘टूम ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है. यह खबर मिलते ही लोग बुक-स्टोरों में इस उपन्यास की तलाश करने लगे. इसके लिए ऑनलाइन ऑर्डर देने वालों की तादाद भी बढ़ गई. पाठकों के उत्साह का आलम यह है कि तब से 2 जून तक, महज पांच दिन के अन्दर इस उपन्यास की 35 हजार से अधिक प्रतियां बिक गईं.