प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इस दौरान एक प्रमुख निर्णय लिया गया है। मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी
इस दौरान प्रेस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि बजट में और उसके पहले कई सेक्टर्स के लिए प्रॉडक्शन लिंक इंसेंटिव यानि पी.एल.आई. की घोषणा की गई थी, जिसमें 12 से 13 सेक्टर्स को पी.एल.आई देने की बात कही गई थी। उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, अभी तक इनमें से 6 सेक्टर्स के लिए पी.एल.आई. की घोषणा की जा चुकी है। इसी कड़ी में बुधवार को केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना को मंजूरी दे दी।
10 हजार 900 करोड़ रुपये की दी जाएगी सब्सिडी
इसके बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विस्तार से बताते हुए कहा, पीएलआई योजना के तहत 10 हजार 900 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
किसानों की आय में वृद्धि के साथ मिलेंगे रोजगार के अवसर
उन्होंने कहा कि पीएलआई योजना से किसानों की आय में वृद्धि के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मोदी सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। रेलमंत्री ने कहा कि किसानों के लिए आने वाले वर्षों में आमदनी बढ़ाने के तरीके ढूंढे जा रहे हैं। साथ ही अलग-अलग तरीकों से रोजगार व आमदनी बढ़ाने की कोशिश भी की जा रही है।
आवंटित धनराशी अगले छह वर्षों के दौरान की जाएगी खर्च
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा, अत्याधुनिक मशीनरी के माध्यम से संसाधित स्वच्छ और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे भारतीय उत्पाद की आने वाले समय में दुनिया भर में भारी मांग होगी। उन्होंने कहा कि आवंटित धनराशी अगले छह वर्षों के दौरान खर्च की जाएगी। उम्मीद है कि प्रोत्साहन देने से देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षमता में इजाफा होगा और इससे 33 हजार 494 करोड़ रुपए का प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद पैदा होगा। साथ ही 2026-27 तक ढाई लाख नई नौकरियां पैदा होंगी।
सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध
उन्होंने कहा, कोरोना महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में भारत में हर तरह के खाद्य क्षेत्र से जुड़ा उत्पादन होता है।
देश में बड़े स्तर पर संसाधन, एक बड़ा घरेलू बाजार और मूल्य वर्धित उत्पादों को बढ़ावा देने की गुंजाइश है। ऐसे में सरकार का मानना है कि इस क्षेत्र की पूरी क्षमता के उपयोग के लिए भारतीय कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना होगा। वहीं उत्पादन, उत्पादकता, मूल्य संवर्धन और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ उनके संबंध प्रतिस्पर्धा से जुड़े कई पहलू हैं।
ये है इस योजना का उद्देश्य
सरकार के अनुसार योजना का उद्देश्य वैश्विक खाद्य विनिर्माण चैंपियन तैयार करना, वैश्विक स्तर पर भारतीय ब्रांड दिखाई भी दें और उसे व्यापक स्वीकृति भी मिले, खेती से इतर नई नौकरियों और रोजगार के अवसर बढ़ाना, किसानों को खेत की उपज और पारिश्रमिक का उचित मूल्य सुनिश्चित कराना है।