प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को असम में ‘महाबाहु-ब्रह्मपुत्र’ जलमार्ग का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने धुबरी फूलबाड़ी पुल की आधारशिला भी रखीं और माजुली पुल के निर्माण का भूमि भी पूजन किया। इसके अलावा उन्होंने नीमाटी-मजुली द्वीप, उत्तरी गुवाहाटी-दक्षिण गुवाहाटी और धुबरी-हाटसिंगिमारी के बीच रो-पैक्स पोत संचालन का भी उद्घाटन किया। यह असम और नॉर्थ ईस्ट की मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए उठाया गया अहम कदम साबित होगा। इस अवसर पर कार्यक्रम स्थल पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मनसुख मंडाविया, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल व मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा भी मौजूद रहे।
इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि “जोजिला टनल का का कार्य शुरू किया गया है उसकी लागत पहले 11 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी जिसके लिए चार बार टेंडर हो चुका था लेकिन हमने टेक्नोलॉजी और उसमें काफी सुधार करने के बाद प्रोजेक्ट की लागत 5 हजार करोड़ रुपए से कम करके देश के पांच हजार करोड़ रुपए बचाने का कार्य किया।”
धुबरी एवं फूलबाड़ी मेघालय के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर ब्रिज की मांग 10 साल पुरानी
उन्होंने यह जानकारी भी दी कि धुबरी-फूलबाड़ी पुल (19.210 किमी) की लागत 4 हजार 500 करोड़ है। जनवरी से इसका काम शुरू हो चुका है। धुबरी एवं फूलबाड़ी मेघालय के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर ब्रिज की मांग 10 साल पुरानी थी। यह ब्रिज बनने से धुबरी और फूलबाड़ी के बीच की दूरी 203 कि.मी कम हो जाएगी और फूलबाड़ी के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बाजार के लिए धुबरी सबसे नजदीक शहर मिल जाएगा। यह ब्रिज फूलबाड़ी के पास से फकीरगंज रिवर पोर्ट के लिए भी कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ये ब्रिज सामरिक और सामाजिक मामलों में भी महत्वपूर्ण है। इस ब्रिज से असम मेघालय का पश्चिम बंगाल के साथ सीधा सम्पर्क हो जाएगा। पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर से धुबरी तक 55 किलोमीटर तक सड़क निर्माण का काम अक्टूबर 2021 में शुरू हो जाएगा। इस ब्रिज के बनने से भूटान, बांग्लादेश आने-जाने की 150 कि.मी की दूरी और पांच घंटे का समय भी बचेगा।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा “ऐसा लग रहा है कि “आली आए लिगांग उत्सव” की उमंग दूसरे दिन भी जारी है। कल मिसिंग समुदाय के लिए खेती और किसानी के उत्सव का दिन था और आज मजुली सहित पूरे असम और नॉर्थ ईस्ट के विकास का बहुत बड़ा महोत्सव है।
ब्रह्मपुत्र का विस्तार बंधुत्व के भाईचारे का मिलन का तीर्थ
पीएम मोदी ने कहा भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका जी ने कभी लिखा था…
“महाबाहू-ब्रह्मपुत्र महामिलनर तीर्थ
कलह, कतह जुग धीरे आहिछे प्रकाकी हमन वैर अर्थह”
यानी ब्रह्मपुत्र का विस्तार बंधुत्व के भाईचारे का मिलन का तीर्थ है। सालों साल से यह पवित्र नदी मेलजोल का, कनेक्टिविटी का पर्याय रही है। लेकिन ये भी सही है कि ब्रह्मपुत्र पर कनेक्टिविटी से जुड़े जितने काम पहले होने चाहिए थे उतने नहीं हुए। इस वजह से असम के भीतर भी और नॉर्थ ईस्ट के अन्य क्षेत्रों में कनेक्टिविटी हमेशा एक बड़ी चुनौती बनी रही है। “महाबाहू ब्रह्मपुत्र” के आशीर्वाद से अब दिशा में तेजी से काम हो रहा है। बीते वर्षों में केंद्र और असम की डबल इंजन सरकार ने इस पूरे क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्कृति दोनों प्रकार की दूरियों को कम करने का प्रयास किया है।
ब्रह्मपुत्र की शाश्वत भावानाओं के अनुरूप संस्कृति के सेतु बनाए
पीएम मोदी ने कहा हमने ब्रह्मपुत्र की शाश्वत भावानाओं के अनुरूप सुविधासुअवसरों और संस्कृति के सेतु बनाए हैं। असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की फिजिकल और कल्चरल इंटिग्रिटी को बीते सालों में सशक्त किया गया है। आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए इस व्यापक वीजन को विस्तार देने वाला है। डॉक्टर भूपने हजारिका हो, बोगी बिल ब्रिज हो, सराय गॉड ब्रिज हो ऐसे अनेक ब्रिज आज असम का जीवन आसान बना रहे हैं। ये देश की सुरक्षा मजबूत करने के साथ ही हमारे वीर जवानों को भी बड़ी सहुलियत दे रहे हैं। असम और नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने के इस अभियान को आज और आगे बढ़ाया गया है। आज से दो और बड़े ब्रिज पर काम शुरू हो रहा है।