कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों से 6 बार बातचीत करने के बाद सरकार ने आज कानूनों में बदलाव का 10 पॉइंट का लिखित प्रस्ताव भेजा था। लेकिन, किसानों ने इसे भी ठुकरा दिया। किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। सिंघु बॉर्डर पर चर्चा के बाद किसानों ने सरकार का प्रस्ताव नामंजूर करने का फैसला लिया।
वर्क-इन-प्रोग्रेस – जावडेकर
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के लिए सरकार के तीन मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें किसानों को भेजे गए प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जवाब दिया। उन्होंने कहा- जब एक अंतिम दौर की बातचीत हो रही हो, तो यह वर्क-इन-प्रोग्रेस माना जाता है। इसकी रनिंग कमेंट्री नहीं हो सकती। किसानों के मुद्दों पर सरकार संवेदनशील है।सरकार ने किसानों से 6 बार चर्चा की है। उम्मीद है अब आखिरी दौर होगा।
सरकार जिद पर अड़ी तो किसान भी पीछे नहीं हटेंगे
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान पीछे नहीं हटेंगे। यह सम्मान का मुद्दा है। क्या सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती? क्या किसानों पर अत्याचार होगा? अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो, किसान भी अपनी बात पर डटे हैं। कानून वापस होने ही चाहिए।
उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार समेत विपक्ष के 5 नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर रहे हैं। मीटिंग में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा और डीएमके के एलंगोवन भी शामिल हैं।