सुशांत पर कई दिनों से सोच रहा था कि कुछ लिखूं, सच पूछिए तो वेदना का असर है कि उस पर कुछ भी लिख पाना आसान नहीं है। लेकिन आज कुछ चीजें आपसे शेयर करना चाहता हूं। उसकी वजह है इन दिनों मीडिया में सुशांत को लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं, अब जबकि मामला CBI के पास है और कईयों के भेद खुलने के आसार हैं, घटिया बयान बाजियों का दौर शुरु हो गया है। इस पूरे मामले में सुशांत के खिलाफ खड़े होने वालों का तर्क है कि अगर सुशांत की जिंदगी तबाह करने में रिया का हाथ है तो फिर नेपोटिज्म कैसे है और अगर नेपोटिज्म उसकी मौत की वजह है तो दिशा साल्यान से ये मामला कैसे जुड़ा हो सकता है। दरअसल ऐसे ऐसे बयान देकर और व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी के सहारे सुशांत की मौत को आत्महत्या साबित करने के लिए पूरी लॉबी लगी हुई है। सुशांत के मामले में दो घटनाएं साथ साथ उसके जीवन में चल रही हैं और किसी भी व्यक्ति के जीवन में दो या उससे कई ज्यादा घटनाएं एक साथ घटती हुई हो सकती है लेकिन सुशांत का विरोध करने वाले और सुशांत की मौत से पर्दा उठने के बाद होने वाले उथल-पुथल के डर से डरा हुआ समुदाय अपनी पूरी ताकत के साथ इस मामले को वहां पहुंचाना चाहते हैं जहां लोगो में इसे लेकर कन्फ्यूजन पैदा हो और उसी असमंजस में ये मामला फाइलों में दब जाए। इस पूरे मामले को विस्तार से समझने के लिए इस लेख को धैर्य के साथ पढ़िएगा।
सुशांत की मौत के बाद कई दिनों तक हमारा किसी काम में मन नहीं लगा था, लॉकडाउऩ के दौरान का खुद का फ्रस्टेशन भी था और एक टैलेंटेड नौजवान के चले जाने का ग़म भी । घर में कई दिनों तक हम सभी ने ठीक से खाना भी नहीं खाया। लेकिन किस- किस से कहते, हर तरफ एक ही खबर थी, न्यूज चैनल खोलिए तो वहां सुशांत और सोशल मीडिया पर जाइए तो वहां सुशांत । तीन-चार दिनों तक हम सोशल मीडिया से भी दूर रहे। लेकिन वो कहते है न Show Must Go on ! जिंदगी की जद्दोजहद फिर शुरु हो गई। 14 जून की दोपहर जब हमें एक संदेश के जरिए सुशांत की मौत की खबर मिली तो दिन का खाना खाकर आराम करने की तैयारी में था, खबरों के लिए चैनल खोला तो अभी सिर्फ एक जगह ये खबर चल रही थी और बाकी हर जगह कुछ सास-बहु के झगड़े टाइप कार्यक्रम । धीरे धीरे सबने कहना शुरु कर दिया कि सुशांत ने आत्महत्या कर ली है। सूचना के लिहाज से हमने भी स्टेटस अपडेट किया लेकिन थोड़ी देर में हमने उस पर एक छोटी सी पोस्ट लिखी। ईश्वर की कृपा है हम पर, कुछ चीजें भांप लेते हैं। हमने लिखा कि जब तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं आ जाती और पुलिस के बयान सामने नहीं आ जाते इसे आत्महत्या नहीं कहना चाहिए। साथ ही हमने ये भी लिखा कि इसे आत्महत्या क्यूं कहा गया और सुशांत के डिप्रेशन की थ्योरी उनकी मौत के साथ जैसे ही मीडिया में आई उसने भी हमारे मन में शंका उत्पन्न किया, 14 जून को ही हमने लिखा कि सुशांत तुम डिप्रेशन में थे या नहीं ये नहीं मालूम लेकिन तुम अकेले जरुर थे । ये बातें हमने आपको इसलिए बताईं क्यूंकि अब आगे की कहानी आपको समझने में सुविधा होगी।
सुशांत की मौत और उसकी जिंदगी में पिछले कुछ महीनों से चल रही घटनाएं उसके साथ घटने वाली दो अलग अलग घटनाएँ हैं। सुशांत की मौत के बाद अचानक मीडिया में उसके डिप्रेशन में होने की चर्चा हुई, उसके पहले सुशांत डिप्रेशन में था ऐसी चर्चा कभी सुनी नहीं थी। फिर कहानी नेपोटिज्म की तरफ गई और कई नाम सामने आने लगे। शुरु में सुशांत की मौत से दूर दूर रहने वाली उनकी कथित गर्लफ्रैंड रिया चक्रवर्ती पर नेपोटिज्म और महेश भट्ट से संबंध के बारे में जब सवाल उठने शुरु हुए तो उसने केंद्रीय गृहमंत्री से CBI जांच की गुहार तक लगा दी। सुशांत के चाहने वालों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सुशांत अब उनके बीच नहीं है, नेपोटिज्म को लेकर पूरी मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में बवाल खड़ा हो गया। उसकी जद में बड़े बड़े सितारे और फिल्मकार आने लगे। मुंबई पुलिस लगातार पूछताछ करने लगी। कहानी दूसरी दिशा में बढ़ रही थी। हालांकि इस कहानी का सुशांत की जिंदगी में एक अहम रोल था लेकिन उसकी मौत के लिए ये कहानी कितनी जिम्मेदार थी ये यकीन से नहीं कहा जा सकता था। सुशांत की ये कथित गर्लफ्रेंड जो सुशांत की जिंदगी में उसे तबाह करने के ही मकसद से आई थी अब दोहरे जाल में फंस रही थी। एक तरफ उसके महेश भट्ट से संबंध को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे, दूसरी तरफ सुशांत के चाहने वाले उसे सुशांत की मौत के लिए जिम्मेदार मान रहे थे। पुलिस जो कि मामले की हकीकत जानती थी उसने भी इस पूरे मामले को अलग दिशा दे दी, बड़े बड़े फिल्मकारों से पूछताछ की जाने लगी। सुशांत के प्रशंसकों और मीडिया के एक बड़े धड़े को जिसके लिए खबर का मतलब प्रेस कांफ्रेंस होता है, मुंबई पुलिस हर रोज नई कहानी बता रही थी। कभी संजय लीला भंसाली, कभी महेश भट्ट तो कभी करण जौहर के बहाने मुंबई पुलिस इस पूरे मामले को एक अलग दिशा में एक हद तक ले जा चुकी थी और इस बीच दिशा की कहानी कहीं पीछे छूट गई थी। दिशा यानी दिशा साल्यान ! दिशा की मौत सुशांत की मौत से ठीक एक हफ्ते पहले असमान्य परिस्थितियों में हुई थी। लेकिन वो कहते हैं न झूठ के पांव नहीं होते और गुनहगार कोई न कोई सबूत छोड़ जाता है। ऐसा ही हुआ इस केस में भी। इसके लिए सबसे ज्यादा साधुवाद सुशांत के देशव्यापी फैन्स को जिन्होंने महीने भर इस मामले को जिंदा रखा और शेखर सुमन जैसे मुखर फिल्मी हस्तियों को जिन्होंने बार बार कहा कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं की बल्कि सुशांत की हत्या हुई है। कंगना ने एक ऐसी नस पहले से दबा रखी थी जो नेपोटिज्म के रास्ते सुशांत की मौत के लिए जिम्मेदार मुंबई फिल्म इंडस्ट्री को झकझोर रही थी।
जिन दिनों नेपोटिज्म का बवाल खड़ा हुआ उन दिनों हमारे एक करीबी फिल्मकार जिनका करण जौहर से ठीक संपर्क है, से हमारी चर्चा भी हुई। शुरु में उन मित्र ने बताया कि जौहर “चिल “ कर रहे हैं यानी उन पर कोई असर नहीं हो रहा था, मुझे आश्चर्य से ज्यादा क्षोभ हो रहा था कि कैसे कैसे इंसानियत का लबादा ओढ़े लोग हैं इस इंडस्ट्री में, लेकिन हफ्ते बीतते बीतते उन मित्र का एक दिन फिर फोन आया और बताया कि करण जौहर सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग से काफी से परेशान हैं। तबीयत बिगड़ गई है। उपर से अब पुलिस भी पूछताछ करना चाहती है, कोई लेना देना नहीं है इऩका इस मामले से और न जाने क्यूं पुलिस घसीट रही है इस मामले में। नेपोटिज्म के नाम पर मुंबई पुलिस एक एक कर बड़े फिल्मकारों पर शिकंजा कस रही थी और दूसरी तरफ कंगना रनौत नेपोटिज्म का झंडा बुलंद कर रही थीँ। मुंबई पुलिस अपने आकाओं के हुक्म की तामील कर रही थी क्यूंकि उसे इस पूरे मामले को दिशाहीन करने के लिए “दिशा” से दूर रखना था।
पहले इस मामले का सुशांत की जिंदगी में रोल समझिए। बेहद उम्दा कलाकार, जहीन इंसान और जीनियस दिमाग वाले सुशांत को मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का गैंग पचा नहीं पा रहा था। 7 सालों में 12 फिल्में, सौ करोड़ से ज्यादा का बिजनेस करने वाली 3 फिल्में और सारी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी की तारीफ पाने वाला सुशांत लीक से हटकर और अपनी शर्तों पर सिनेमा करना चाहता था। वो किसी मुंबईया मठाधीश के दरबार में सिर नवाने को राजी नहीं था लिहाजा उसे मुंबईया गैंग ने किनारे करना शुरु कर दिया। फिर भी वो अपनी बदौलत फिल्में साइऩ कर रहा था तो उससे फिल्में छीन ली जाने लगीं। तब भी वो सिनेमा ही करना चाहता था और उसे काम मिल भी रहा था, हां मुश्किलें बढ़ गई थीं लेकिन वो टिके रहने का माद्दा रखता था। ऐसे में उसकी जिंदगी में महेश भट्ट और महेश भट्ट के जरिए रिया चक्रवर्ती ने प्रवेश किया।
महेश भट्ट एक आला दर्जे के अय्याश, करण जैसों से याराना रखने वाले और टैलेंट को बर्बाद करने वाले इंसान हैं। (महेश भट्ट की अय्याशी के सबूत भरे किस्से हम इंडिया टीवी के जमाने से जानते हैं इसलिए उनके जो भी चाहने वाले इस पर कुछ कहना चाहते हों जरा सोच समझकर बोलें अन्यथा मुश्किलें बढ़ जाएँगी) एक जमाने की मशहूर अदाकारा और सेक्स सिंबल कही जाने वाली परवीन बॉबी के साथ क्या हुआ और महेश भट् ने क्या किया ये जग जाहिर है। अपने बुढ़ापे के दिनो में महेश भट्ट ने पाकिस्तानी अभिनेत्री मीरा को वीना मलिक को मुंबई का रास्ता दिखाया और उनका अपने लाभ के लिए जमकर इस्तेमाल किया । पहले भी वो ऐसा करते रहे हैं उधर मैं अभी नहीं जा रहा क्यूंकि मामला भटक जाएगा।
अभी तक मौजूद साक्ष्यों के आधार पर ये कहना अब मुश्किल नहीं है कि महेश भट्ट ने अपने मुंबईया गैंग के कहने पर सुशांत की जिंदगी में जहर घोलने का काम शुरु किया और उनका हथियार बनी रिया चक्रवर्ती, रिया की जाल में फंसते और चकाचौंध में धंसते चले गए सुशांत । अपनों से दूर, अपने परिवार से दूर और अपने उन सभी करीबियों से दूर जो लंबे समय से सुशांत के संघर्ष और सफलता के गवाह थे। जब आपको चारों तरफ से घेर लिया जाए तो अभिमन्यु जैसा योद्धा भी परास्त हो जाता है फिर तो ये सुशांत सिंह थे। रिया ने सुशांत के पैसे की हेराफेरी की, अपने उपर और अपने भाई के उपर खर्च किए । अभी तक की ED की जांच से इतना तो साफ ही हो चुका है।
एक तरफ कंगना रनौत नेपोटिज्म के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही थी और दूसरी तरफ शेखर सुमन बेबाक होकर बेलाग तरीके से सुशांत की मौत को आत्महत्या करार रहे थे। मुंबई पुलिस जांच की खाना पूर्ति कर रही थी, 45 दिनों में FIR तक दर्ज नहीं की थी। लेकिन इसी बीच सुशांत के पिता ने सख्त कदम उठाया और रिया चक्रवर्ती के खिलाफ पटना में FIR दर्ज करा दी। जो रिया CBI जांच की मांग कर रही थी, अपने आप को सुशांत का सबसे बड़ा शुभचिंतक करार दे रही थी उसने जल्दबाजी में गलती से बिहार पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए। यहां भला हो उन लोगों ( निश्चित तौर पर मुंबई पुलिस नहीं ) का जिन्होंने जांच की दिशा अब दिशा साल्यान की तरफ भी मोड़ दी। जैसे जैसे साल्यान के साथ सुशांत की मौत को परखा जाने लगा कहानी से पर्दा हटने लगा । सुशांत की मौत से एक हफ्ते पहले दिशा साल्यान की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत में ही सुशांत की मौत के राज छुपे थे। रही सही कसर मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस का विरोध कर और उसके IPS अधिकारी विनय तिवारी को जबरदस्ती क्वारंटीन कर पूरा कर दिया। अब साफ हो रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है जिसे छिपाया जा रहा है और उसे मुंबई पुलिस जानते हुए छिपा रही है। इसी बीच बिहार सरकार ने CBI जांच की सिफारिश की और केंद्र ने उसे मंजूरी दे दी। CBI ने पहली नजर में बिहार पुलिस की FIR जो अभी तक इस मामले में दर्ज एकमात्र FIR थी, के आधार पर रिया और उसके परिवार समेत 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। मुंबई पुलिस इस केस में बहुत कुछ छिपा रही है और इस पर से पर्दा हट चुका है क्यूंकि महाराष्ट्र सरकार एक तरफ CBI को मामला दिये जाने का विरोध कर रही है और दूसरी तरफ दिशा साल्यान के मामले में मुंबई पुलिस की जबरदस्त लापरवाही सामने आई है, उसके केस से जुड़ी फाइल सिस्टम से डिलीट हो गई है, नियत समय पर अटोप्सी नहीं कराई गई जिससे मौत का कारण स्पष्ट होता, पोस्टमार्टम की अनिवार्य वीडियोग्राफी नहीं कराई गई और तो और रिपोर्ट में ये लिखा गया है पोस्टमार्टम के लिए लाई गई दिशा साल्यान के शरीर पर वस्त्र नहीं थे। पुलिस के अनुसार जिस दिशा ने आत्महत्या की उसने पहले पार्टी की, फिर अपने कपड़े उतारे और फिर 14वीं मंजिल से कूद गई। कमाल की थ्योरी है, ठीक है कि मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री है लेकिन मुंबई पुलिस को बी ग्रेड फिल्मों की तरह का काम नहीं करना चाहिए।
निश्चित तौर पर दिशा साल्यान की मौत हत्या है और इस हत्या से सुशांत की हत्या के तार जुड़े हैं। इस मामले में सख्ती से पूछताछ जरूरी है जिसमें सबसे ज्यादा सख्ती सुशांत के फ्लैट में रहने वालों उनके दोस्तों के साथ की जाऩी चाहिए, उस पत्रकार से की जानी चाहिए जिसने पुलिस के बयान से पहले सुशांत की मौत को आत्महत्या करार दिया था। आखिर उसका क्या आधार था ? तो इसे ऐसे समझिए सुशांत की जिंदगी में एक तूफान चल रहा था जिसकी सूत्रधार रिया चक्रवर्ती है, जो उसको किन्हीं वजहों से बर्बाद करना चाहती थीं, उसमें पैसा और दूसरी चाहतें हैं शामिल हैं दूसरी तरफ इस बीच में अचानक ऐसा कुछ हुआ जिसने सुशांत को हिला कर रख दिया जिसके बाद लॉकडाउन का फायदा उठाकर पहले दिशा साल्यान और बाद में सुशांत की हत्या कर दी गई। अब CBI और सरकार की जिम्मेदारी है कि दोनों मामलों से पर्दा हटाए और कातिलों के गिरेबान तक कानून के हाथ पहुंचें। हमने ये पूरी दास्तान साक्ष्यों और अपने अनुभवों के आधार पर इसलिए लिखी क्यूंकि जो लोग इस घटना के गुनहगारों को बचाना चाहते हैं वो रंग बिरंगी बातें कर और इधर उधर भटका कर मुद्दों के इर्द गिर्द मामले को आऩे नहीं देना चाहते। किसी को बिहार में समस्या लगती है तो किसी को सुशांत बड़ा स्टार नहीं लगता है। इसलिए जो लोग इधर उधर की बातों से कन्फ्यूज हो रहे हैं वो साफ साफ समझें कि माजरा क्या है।
हां इस बीच अच्छा ये हुआ है कि अब हिंदुस्तानी सिनेमा, मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के चंगुल से निश्चित तौर पर आजाद होगा क्योंकि अगली पीढ़ी के लिए ये घटना मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही बिहार से निकले हुए और सिनेमा से जुड़े हुए बड़े बिहारी चेहरों की जमात से भी नकाब उतरा है क्योंकि उनकी खामोशी उनको नामर्दों की कतार में खड़ा करती है। यकीन मानिए सुशांत की मौत बदलाव की शुरुआत है।