Report : Media Sarkar Bureau
बाल श्रम के खिलाफ आंदोलन ने पिछले दिनों ऐतिहासिक करवट ली है। बाल श्रम के सबसे बदतर प्रकारों को खत्म करने के लिए बनाए इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन (आईएलओ) के कन्वेंशन-182 को अब इसके सभी सदस्य देशों ने स्वीकार कर लिया है। दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित टोंगा आईएलओ का 187वां और अंतिम सदस्य देश है जिसने इस पर हस्ताक्षार कर आईएलओ कनवेंशन-182 को स्वीकार कर लिया है। टोंगा के हस्ताक्षर के बाद कन्वेंशन-182 आईएलओ के इतिहास में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक समर्थन वाला कन्वेंशन हो गया है।
नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी के प्रयास से 22 साल पहले हुआ था पारित
गौरतलब है कि यह आईएलओ कनवेंशन-182 नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी के प्रयास से करीब 22 साल पहले सर्वसम्मति से पारित किया था। तब आईएलओ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी प्रस्ताव को उसके सभी सदस्य देशों का समर्थन मिला हो। भारत के लिए ये गर्व की बात है कि इस अंतरराष्ट्रीय कानून की मांग भारत की धरती से ही उठी थी।
‘‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’’ से शुरु हुई थी इसकी कहानी
आईएलओ कन्वेंशन-182, ‘‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’’ की स्थापना करने वाले श्री कैलाश सत्यार्थी की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर वकालत करने का परिणाम है। सन 1998 में बाल श्रम के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय कानून की मांग को लेकर श्री सत्यार्थी ने ‘‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’’ के बैनरतले एक विश्वव्यापी यात्रा का आयोजन किया था। इस यात्रा के माध्यम से बाल श्रम को खत्म करने के लिए 70 लाख से अधिक लोगों को एकजुट और गोलबंद किया था। इस मार्च ने एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, यूरोप सहित 103 देशों की यात्रा करते हुए 80,000 से अधिक किलोमीटर की दूरी तय की थी। मार्च में भाग ले रहे यात्रियों ने “डाउन डाउन-चाइल्ड लेबर” और ‘‘वी वांट एडूकेशन’’ के नारों से सभी दिशाओं को गुंजायमान कर दिया था। इस यात्रा में तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राजा-रानी से लेकर वैश्विक नेताओं और जानेमाने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
22 साल बाद टोंगा समर्थन करने वाला 187वां देश बना है
ग्लोबल मार्च में श्री सत्यार्थी के नेतृत्व में पूर्व बाल मजदूरों ने भाग लेते हुए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के जिनेवा के 86वें सम्मेलन में बाल श्रम के सबसे बदतर प्रकारों के खिलाफ एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने का आह्वान किया था। मार्च की सफलता जून, 1999 में आईएलओ कन्वेंशन-182 के रूप में सामने आती है। जिसको सर्वसम्मति से अपनाने की प्रक्रिया में इसका सबसे पहले समर्थन करने वाला देश सेशेल्स था, जिसने सितंबर, 1999 में अपने समर्थन की पुष्टि की। अब 22 साल बाद टोंगा इसका समर्थन करने वाला 187वां सदस्य देश है। इस कन्वेंशन का समर्थन करते हुए इस पर हस्ताक्षर करने वाला देश बाल श्रम को खत्म करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है। प्रत्तेक हस्ताक्षरकर्ता देश अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत इसके लिए बाध्य हो जाता है कि वह अपनी राष्ट्रीय नीतियों और व्यवहारों को कन्वेंशन की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएगा। साथ ही वह इस बारे में आईएलओ को नियमित रूप से अपनी रिपोर्ट भी देगा और कन्वेंशन-182 के किसी भी रूप के उल्लंघन का जिम्मेदार माना जाएगा।
12 जून को ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस’’ भी सत्यार्थी के प्रयास से हुआ संभव
कन्वेंशन पारित होने के बाद से ही श्री कैलाश सत्यार्थी और ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर लगातार दुनियाभर के महत्वपूर्ण नेताओं, विभिन्न देशों की सरकारों और उनके प्रमुखों के साथ लगातार संवाद के जरिए इसका वैश्विक स्तर पर समर्थन करने की वकालत करते रहे हैं। श्री सत्यार्थी कन्वेंशन-182 की जवाबदेही तय करने और उसके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता पर लगातार जोर दे रहे हैं। बच्चों और उनकी भलाई के निमित्त राष्ट्रीय प्रशासनिक प्रणालियों और कानूनों को मजबूत करने और राष्ट्रीय बजट में बच्चों की हिस्सेदारी को मजबूत करने की वकालत करते हैं। यह श्री सत्यार्थी के अथक संघर्ष, निरंतर संवाद और गहरी करुणा का ही परिणाम है कि आईएलओ को 12 जून को ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस’’ के रूप में मनाने की घोषणा करनी पड़ी है।
इस अवसर पर क्या कहा कैलाश सत्यार्थी ने
इस यादगार अवसर पर श्री सत्यार्थी ने कन्वेशन-182 पर हस्ताक्षर करने वाले सभी 187 देशों के लोगों, उनकी सरकारों और विशेषकर टोंगा तथा आईएलओ को बधाई दी है। श्री सत्यार्थी कहते हैं, “आज का दिन उन लाखों बच्चों और कार्यकर्ताओं के जीत का दिन है, जिन्होंने बाल श्रम के खिलाफ 103 देशों की 80,000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का सफर पूरा किया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान महामारी और उससे उपजे आर्थिक संकट से दुनियाभर में बाल श्रम में वृद्धि होगी। चुनौती बहुत बड़ी है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह हमारे बच्चों को नीतियों, संसाधनों और सामूहिक कार्रवाई की तात्कालिकता को प्राथमिकता देने का अवसर प्रदान करता है। इसको ध्यान में रखते हुए अब पूरी दुनिया को 2021 के संयुक्त राष्ट्र बाल श्रम उन्मूलन के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। मैं उन लाखों लोगों से आह्वान करता हूं जो 22 साल पहले बाल श्रम को समाप्त करने के लिए इस लड़ाई में शामिल हुए थे और आज भी वे उसी प्रतिबद्धता से इस सामाजिक बुराई के खात्में के लिए लड़ रहे हैं। अगर एकजुट होकर हम इस बुराई के खिलाफ लड़ते रहें, तो मुझे विश्वास है कि मैं अपने जीवनकाल में ही इसका अंत देख सकूंगा।