21 जून 2020 रविवार को कंकणाकृति सूर्यग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में दिखेगा। 9.16 बजे से शुरु होकर 3.04 बजे तक रहने वाला ये सूर्य ग्रहण भारत में सुबह 10:01 से दोपहर 02:17 बजे तक रहेगा
जब भी सूर्य ग्रहण हो तो एक माला इस मंत्र का जाप करें :-
मंत्र – ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
ग्रहण दर्शन ना करें । ग्रहण का दृश्य नहीं देखना चाहिए और ग्रहण की छाया भी हम पर न पड़े इसका ध्यान रखना चाहिए ।ग्रहण का समय हो तो उस समय ग्रहण के देव का नाम जप करने से उस ग्रह का माने सूर्य या चन्द्र का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्य ग्रहण के लिए सूर्य गायत्री मंत्र है।
” ॐ आदित्याय विदमहे भास्कराय धीमहि तन भानु प्रचोदयात “
ग्रहण में क्या करें, क्या न करें।
ग्रहण के समय फूल-पत्ते नहीं तोड़े रविवार को तुलसी के पत्ते ना तोड़ें और ना खाएँ। ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का यथासंभव जाप करें।
🌘 सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
🌘 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
🌘 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
🌘 ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
🌘 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।
🌘 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
🌘 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन ये सब कार्य वर्जित हैं।
🌘 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
🌘 भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।(देवी भागवत)
🌘 अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24)
🚩जय श्री हरि 🚩