अमेरिका ने आज कुछ ऐसे फैसले किए जिसका सीधा असर भारत पर पड़ा है। अमेरिका ने भारत की स्पेशल फ्लाइट्स को एंट्री देने से मना कर दिया है। 22 जून को ये आदेश जारी किया गया है। ब्लूमबर्ग मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने आरोप लगाया है कि भारत एविएशन से जुड़े एग्रीमेंट को तोड़ रहा है।
द वेब रेडियो से साभार
अमेरिका का आरोप उसकी एयरलाइंस को नुकसान हो रहा है
कोरोना के बीच भारत ने इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू नहीं की हैं, लेकिन वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट्स उड़ानें भर रही हैं। अमेरिका के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का कहना है कि भारत सरकार ने दूसरे देशों से अपने लोगों को लाने के लिए एयर इंडिया के प्लेन लगा रखे हैं, लेकिन एयर इंडिया टिकट भी बेच रही है। दूसरी ओर अमेरिकी एयरलाइंस के लिए भारत में रोक लगी हुई है। इससे अमेरिकी एयरलाइंस को कॉम्पिटीशन में नुकसान हो रहा है। अमेरिका अधिकारियों ने कहा कि भारतीय एयरलाइंस को अमेरिका में ऑपरेशन से पहले हमें बताना चाहिए, ताकि उन पर नजर रख सकें। अब रोक हटाने पर तभी विचार करेंगे, जब भारत में अमेरिकी एयरलाइंस को ऑपरेशन की छूट मिलेगी। अमेरिका ने कुछ हफ्ते पहले चीन की एयरलाइंस पर भी रोक लगाई थी। बाद में 15 जून को दोनों के बीच एग्रीमेंट हुआ कि दोनों तरफ से हफ्ते में 4 फ्लाइट्स की इजाजत होगी।
H1-B वीजा पर 31 दिसंबर तक रोक
साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विदेशियों को जारी होनेवाले एच-1बी और एल1 वीजा को सस्पेंड रखने का समय बढ़ा दिया। ये अब 31 दिसंबर तक लागू होगा। इसके मुताबिक 31 दिसंबर तक विदेशियों को ग्रीन कार्ड और एच-1बी वीजा जारी नहीं होगा।ट्रंप के इस फैसले के बाद भी भारतीय शेयर बाजार में टॉप पांच आईटी कंपनियों के शेयरों में दिन भर उछाल देखा गया। टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस, एचसीएल और टेक महिंद्रा के शेयर कल के मुकाबले आज अच्छे हालात में थे।
दरअसल इस सेक्टर में काम करनेवाले लोगों का मानना है कि इससे भारतीय आईटी कंपनियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि आईटी सर्विसेस कहीं से भी की जा सकती है। और जब कोरोना का समय खत्म होगा तब बाजार और खुलेंगे, हवाई यात्राएं ढंग से शुरु होंगी तब तक अमेरिकी सरकार अपना फैसला बदल देगी क्यूंकि तब की जरुरतें कुछ और होंगी।