Report : Media Sarkar Desk
सनातन धर्म ध्वजा के परम संवाहक और विश्व के महान विभूति श्रीगोवर्धनमठ पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी महाराज का आज जन्मदिवस है। शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज गोवर्धनमठ पुरी के पीठाधीश्वर और 145 वें शंकराचार्य हैं। देश के अलग अलग हिस्सों में श्री शंकराचार्य महाराज का जन्मदिवस उत्साह और उत्सव के तौर पर “राष्ट्रोत्कर्ष दिवस” के रुप में मनाया जा रहा है ।
इसरो से लेकर विश्व बैंक तक श्री शंकराचार्य से दिशा-ज्ञान प्राप्त करता है
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ऐसे युग पुरूष हैं जिनसे आधुनिक युग के सर्वोच्च वैधानिक संगठनों संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व बैंक तक मार्गदर्शन प्राप्त किया है ! भारत की सर्वोच्च वैज्ञानिक संस्था और दुनिया में अपने मिशन से लोहा मनवाने वाली इसरो के वैज्ञानिकों के लिए श्री शंकराचार्य का ज्ञान और उनके सुझाव हमेशा से अहम रहे हैं।
पुरी पीठ में हो रहा है विज्ञान संगोष्ठी का आयोजन
कोरोनावायरस संकट की परिस्थिति में विशाल धर्मसभा सम्मेलन आदि कार्यक्रम संभव नहीं होने के कारण गोवर्धन पीठ पुरी में आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक संगोष्ठी का भव्य आयोजन हो रहा है । 14 जून से शुरु हुए इस विज्ञान संगोष्ठी आजोजन का समापन आज यानी 19 जून को श्री शंकराचार्य के जन्मदिवस के अवसर पर होगा। आज शाम में 6:30 स 8:00 बजे रात्रि तक जगतगुरु शंकराचार्य जी का दर्शन एवं उनके आशीर्वचनों का लाभ आप पुरी पीठ के फेसबुक एकाउंट और यू ट्यूब एकाउंट पर पा सकते हैं।
जगद् गुरु शंकराचार्य महाराज की उपलब्धियों का संक्षिप्त परिचय
विश्व के 200 देश चिन्हित किये गए है, ( लगभग सभी देश ) जिनके वैज्ञानिको ने कंप्यूटर और मोबाइल फोन से लेकर अंतरिक्ष तक के क्षेत्र में किये गए आधुनिक अविष्कारों में उन वैदिक गणितीय सिद्धांतो का प्रयोग किया है जो पूज्यपाद जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा रचित “ स्वस्तिक गणित “ नामक पुस्तक में दिए गए है। शंकराचार्य महाराज जी के अन्य ग्रन्थ “ अंकपदियम “ और “ गणितदर्शन “ नामक दो ग्रन्थ का भी लोकार्पण हुआ है , जो निश्चित ही विश्वमंच पर वैज्ञानिको के लिए विभिन्न क्षेत्रो में नए आविष्कारों के लिए नए परिष्कृत मानदंडो की स्थापना करेंगे !
संयुक्त राष्ट्र संघ ने दिनांक 28 से 31 अगस्त 2000 में न्यूयार्क में आयोजित विश्वशांति शिखर सम्मलेन तथा विश्व बैंक ने वर्ल्ड फेथ्स डेवलपमेंट डाइलॉग – 2000 के वाशिंगटन सम्मलेन के अवसर पर लिखित मार्गदर्शन प्राप्त किया था ! श्री गोवर्धन मठ से सम्बंधित स्वस्तिप्रकाशन द्वारा इसे क्रमशः “ विश्वशांति का सनातन सिद्धांत “ तथा “ सुखमय जीवन का सनातन सिद्धांत “ शीर्षक से सन 2000 में पुस्तक रूप में प्रकाशित किया।
इसके अलावा पूज्यपाद जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज इस धरा पर वैदिक सिद्धांतो की साक्षात् वेदमूर्ति है। वैदिक सिद्धांत एक और जहाँ मानव जीवन एवं सम्पूर्ण जगत को सुखमय, आनंदमय एवं शांतिमय बनाने के लिए प्रत्येक मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भोजन , वस्त्र , आवास , शिक्षा , रक्षा , सेवा , न्याय , स्वास्थ्य , पर्यावरण , विवाह , पर्व आदि के विज्ञान तथा समस्त विधाओ का दार्शनिक , वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक ज्ञान देते है, वहीँ दूसरी ओर वे मानव जीवन के मूल लक्ष्य एवं उसकी सार्थकता जो ईश्वर तत्व के निकट होने और उसे प्राप्त करने में निहित है, का आध्यात्मिक मार्ग भी प्रशस्त करते है !
शंकराचार्य महाराज जी का आविर्भाव आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी, बुधवार रोहिणी नक्षत्र, विक्रम संवत 2000, 30 जून ई.सन 1943 को हुआ। विक्रम संवत कि अनुसार इस वर्ष 19 जून को उनका जन्मदिवस मनाया जा रहा है । हमारी पूरी टीम की ओर से श्रीगुरु के चरणों में सादर प्रणाम।