Report : Hiralal Prasad
पुरी । सुप्रीम कोर्ट के रथयात्रा नहीं निकालने के आदेश के बाद एक मुस्लिम समाजसेवी ने सुप्रीम अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की है। इस याचिका में सुझाव के साथ न्यायालय से अनुरोध है कि श्रीजगन्नाथ रथयात्रा की परंपरा टूटने से बचाई जाए। माायगढ़ जिले के आफताब हुसैन ने अपनी याचिका में लिखा है कि शहर को टोटल शटडाउन करके मंदिर के पुजारी और सेवकों द्वारा ही रथयात्रा निकाली जा सकती है। याचिका पर रविवार या सोमवार को सुनवाई हो सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट पहले ही लगा चुका है रोक
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोरोना वायरस के कारण 23 जून को निकलने वाली जगन्नाथ रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। इसी फैसले पर पुनर्विचार के लिए उड़ीसा के मायागढ़ जिले के आफताब हुसैन ने शुक्रवार को याचिका दायर की है। श्री हुसैन के वकील प्रणयकुमार मोहपात्रा ने बताया कि याचिका श्री जगन्नाथ मंदिर की परंपरा और पूरे उड़ीसा के लोगों की आस्था को देखते हुए लगाई गई है।
मंदिर के पुजारी ही निकालें रथयात्रा
आफताब हुसैन ने बताया कि हमने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि 23 जून को पूरी शहर को पूरी तरह शटडाउन किया जाए। किसी को भी घर से निकलने की अनुमति ना हो। मंदिर में 1172 सेवक हैं। इन सभी का कोविड-19 टेस्ट किया जा चुका है जो नेगेटिव आया है। तीनों रथ खींचने के लिए 750 लोगों की आवश्यकता होती है। मंदिर के पास 1172 सेवक हैं। ये ही लोग ही रथयात्रा के रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर तक ले जा सकते हैं। इस तरह रथयात्रा बिना बाहरी लोगों के शामिल हुए भी निकाली जा सकती है।
सुप्रीम अदालत का फैसला स्वागत योग्य, लेकिन मध्यमार्ग निकले तो बेहतर- शंकराचार्य
पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी कहा है कि न्यायालय को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा पर रोक लगाना स्वागत योग्य है लेकिन कोई मध्य मार्ग निकालना चाहिए, जिससे श्री मंदिर की परंपरा भी ना टूटे।