Report : Hiralal Prasad
कोरोना के इस महामारी काल में नेपाल चीन के बहकावे में लगातार हरकतें कर रहा है। नए नक्शे के विवाद के बाद अब नेपाल ने पूर्वी चम्पारण में भी सीमा पर विवाद बढ़ा दिया है। उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल लगातार भारत के साथ तनाव बढ़ाने वाले कदम उठा रहा है। अब बिहार के चम्पारण से लगी नेपाल की सीमा पर बांध के निर्माण कार्य को लेकर सीमा सशस्त्र बल और नेपाली फोर्स में ठन गई है।
ढाका के पास सीमा पर नेपाल कर रहा है विवाद
ये मामला अब भारत सरकार तक पहुंच गया है। बिहार के पूर्वी चंपारण में नेपाल-बिहार बॉर्डर पर ढाका इलाके में बिहार सरकार की तरफ से बांध बन रहा था। ये जगह जिला मुख्यालय मोतिहारी से 45 किमी दूरी पर है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया, नेपाल गंडक बांध पर मरम्मत का काम करने की अनुमति नहीं दे रहा है। मंत्री ने बताया कि गंडक बैराज में 36 गेट हैं जिनमें से 18 नेपाल में आते हैं. जिस इलाके में बाढ़ से निपटने के लिए मरम्मत का सामान रखा है, नेपाल ने वहां बैरियर लगा दिए हैं। अतीत में कभी ऐसा नहीं हुआ था।
बिहार में बाढ़ की समस्या गंभीर हो सकती है
मंत्री ने कहा, अगर इस समस्या का समाधान वक्त पर नहीं होता है तो बिहार में बाढ़ आ जाएगी। बिहार के पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी कपिल अशोक शीर्षत ने इस संबंध में बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी एक रिपोर्ट सौंपी है। हकीकत ये है कि मरम्मत का काम ये काम अक्सर लाल-बकेया नदी में होता है जो नो मैंसलैंड में आता है। इसके अलावा, कई अन्य जगहों पर भी मरम्मत का काम होता रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि नेपाल की तराई वाले इलाके में लोगों की इस तरह की परेशानी देखने को मिल रही है। नेपाल की मौजूदा वामपंथी सरकार चीन के इशारे पर ये समझ नहीं रही और सदियों पुराने अपने रिश्ते खराब करने पर तुली है। नेपाल के मौजूदा प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली अपनी कुर्सी बचाने के लिए चीन के बहकावे में आकर नेपाल की तराई की जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैँ।