Report : Hiralal Prasad, Special Correspondent
प्रवासी मजदूरों के हालातों का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम जो करना चाहते हैं, वह आपको बताएंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्यों को 15 दिन का समय दिया जाएगा।
1 करोड़ मजदूरों को पहुंचा चुकी है सरकार
याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया गया है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि इनमें से करीब 41 लाख मजदूरों को सड़क मार्ग और 57 लाख मजदूरों को ट्रेनों से उनके गृह राज्य भेजा गया है।
मेहता ने कहा कि अधिकतर ट्रेनों का संचालन उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ हुआ है। उन्होंने अदालत को बताया कि इन कामगारों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाने के लिए तीन जून तक 4 हज़ार 200 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं।
राज्य सरकारें अदालत को दे सकती हैं पूरा ब्यौरा
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम राज्यों से संपर्क में हैं और राज्य सरकारें ही अदालत को प्रवासियों की सही संख्या के बारे में बता सकती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अदालत को बता सकती हैं कितने प्रवासियों को अभी घर पहुंचाना है और इसके लिए कितनी ट्रेनों की आवश्यकता पड़ेगी। राज्यों ने एक चार्ट तैयार किया है, क्योंकि वे ऐसा करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में थे।
देश की शीर्ष अदालत ने राज्यों द्वारा तैयार चार्ट को देखने के बाद कहा कि इसके अनुसार महाराष्ट्र की तरफ से केवल एक चार्ट की मांग की गई है। इसके जवाब में मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र से हमने पहले ही 802 ट्रेनों को संचालित किया है। फिलहाल एक ट्रेन के लिए अनुरोध किया गया है।
सुप्रीम अदालत ने दिया 15 दिन का समय
सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि किसी भी राज्य द्वारा ट्रेनों की मांग किए जाने पर केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर ट्रेनों को वहां भेजेगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों से कहेंगे कि वह अपनी ट्रेनों की मांग को रेलवे को सौंपे। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम केंद्र और राज्य को 15 दिन का समय देते हैं, ताकि राज्यों को प्रवासी मजदूरों के लिए परिवहन व्यवस्था को पूरा करने की अनुमति दी जा सके।