देश में चार दौर के लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक होने का सिलसिला शुरु हो चुका है। लॉकडाउन के पांचवें चरण में तमाम तरह के छूट दिए गए हैं और इसका नाम अनलॉक – 1 रखा गया है। एक तरफ देश में जिंदगी फिर से पटरी पर लाने की कोशिश है और दूसरी तरफ कोरोना का संक्रमण अब हमारे गांवों तक पहुंच गया है। लॉकडाउन के चौथे चरण में सबसे ज्यादा तकरीबन 90 हजार लोग बीमार हुए हैं इन दिनों हर रोज 7-8 हजार कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैँ। ऐसे में हमारा ये मानना है कि हम-आप इस अनलॉक 1 को ठीक से समझें और सावधानी बरतेँ। क्यूंकि देश अनलॉक हो रहा है लेकिन कोरोना अभी लॉक नहीं हुआ है। दुनिया भर से आने वाली तमाम रिपोर्ट्स , अभी दावे के साथ ये नहीं बताती कि ये महामारी कब तक रहेगी या फिर इसके इलाज के लिए वैक्सीन या फिर कोई दवा कब तक हमारे आपके हाथों में होगी। सब बस कयास भर हैं, चूंकि पूरी दुनिया इस महामारी से त्रस्त है इसलिए ऐसी उम्मीद है कि कोई न कोई उपाय जल्द ही सामने आएगा। लेकिन तब तक हमें क्या करना चाहिए ?
द वेब रेडियो से साभार
इस महामारी के फैलने के साथ ही ये कहा जाने लगा था कि अपने बुरे दौर में ये महामारी दुनिया के 60 फीसदी लोगों को संक्रमित करेगी। अगर ऐसा हुआ तो भारत में 80 फीसदी या उससे भी ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में होंगे। इन दिनों सोशल मीडिया, कई दूसरे डिजिटल माध्यमों, न्यूज चैनलों और यहां तक कि सरकार के प्रेस कांफ्रेंसे में भी कहा जाता है कि हमारे यहां कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा काफी कम है। तो हम आपसे कुछ आंकड़े शेयर करते हैं इसे गौर से सुनिए।
निश्चित तौर पर हमारे देश में कुल बीमार लोगों में महज ढाई फीसदी लोगों की मौत हो रही है। लेकिन अभी तक देश में सिर्फ 40 लाख लोगों की जांच हो पाई है। अब कई विशेषज्ञों ने ये माना है कि कोरोना हमारे देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के दौर में है। यानी ये किससे और कैसे फैल रही है इसका पता नहीं चला रहा और किस व्यक्ति को ये रोग है ये समझना आसान नहीं रहा। उपर से अब देश अनलॉक हो रहा है। तो निश्चित तौर पर ऐसे में अगले 45 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होंगे। लोग बाग बेधड़क बाजारों में होंगे, काम पर होंगे साथ ही उनको पता नहीं होगा कि किसको ये बीमारी है ऐसे में जब वो गंभीर रुप से बीमार होंगे तभी मालूम चलेगा औऱ जांच होगी । फिर जांच तो उसी तरीके से होगी, किससे मिले, कहां कहां गए .. सबकी छानबीन। फिर ये मामले उछाल लेंगे। बीमारी फैलने में और उसके उभरने में अगले पंद्रह बीस दिन लगेंगे। फिर उसकी संख्या का अंदाजा लगाने में अगला 15 दिन और ले लीजिए। तो एक महीने बाद नए ट्रेंड्स आने शुरु होंगे और उस ट्रेंड्स को जब कम से कम 15 दिन मॉनिटर किया जाएगा तभी सही आकलन लग पाएगा कि हमारे देश में इस बीमारी के साथ क्या हो रहा है और ये कोरोना हमारे साथ क्या कर रहा है। मौजूदा ट्रेंड के हिसाब से जून बीतते बीतते हमारे देश में 10 लाख के आस पास लोग बीमार हो सकते हैं। ऐसे में जब मौतों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो वो डराने लगेंगे। और ये बीमारी फैलती रहेगी तो बीमारों के साथ मौतें भी बढ़ती रहेंगी।
दुनिया के लिए ये महज आंकड़े हो सकते हैं लेकिन जिस घर से कोई एक व्यक्ति चला जाएगा उनकी विपदा के बारे में सोचिए, कई ऐसे परिवार होंगे जिनका सब कुछ लुट जाएगा। कई ऐसे परिवार होंगे जो आगे कई सालों तक अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाएँगे। कई ऐसे परिवार होंगे जिनके लोगों की बची जिंदगी दहशत में गुजरेगी।
इतना ही नहीं आपको ये भी मालूम होना चाहिए कि जैसे ही पता चलता है कि किसी को कोरोना का संक्रमण है उसके बाद वो चाहकर भी अपने परिवार, अपने बच्चों, अपने माता-पिता या फिर अपने किसी भी चाहने वाले से जी भर कर गले भी नहीं मिल पाता, अस्पताल जाता है और उसके बाद सब भगवान भरोसे। लौट आया तो ईश्वर की कृपा, नही तो फिर एक कागज का टुकड़ा ही हाथ लगता है जो ये तस्दीक करता है कि फलां व्यक्ति के साथ क्या हुआ। हम आपको डरा नहीं रहे, बस उन दो – ढाई फीसदी लोगों की दास्तान समझाने की कोशिश कर रहे हैं जहां कोई भी हो सकता है।
तो अब ये सवाल उठता है कि लॉकडाउन और कितना चलाया जाए, काम-धंधे का क्या होगा, दाल-रोटी कैसे चलेगी ? भविष्य कैसे संवरेगा। घरों में कब तक बैठे रह सकते हैं। तो यहां पर हमारा ये मानना है कि सरकारें कई किस्म के दबाव में है, कई फैसले जल्दबाजी में लिए गए हैं और उसका खामियाजा निश्चित तौर पर देश को भुगतना पड़ रहा है। तो अब क्या ? क्या उन्हीं गलतियों को दुहराया जाए ? क्या उन्हीं गलतियों का बार बार जिक्र कर उनकी आलोचना की जाए और ऐसा करने से कोरोना खत्म हो जाएगा। हम सब जानते हैं बिल्कुल नहीं।
तो अब हमें समझना होगा कि देश अनलॉक हो रहा है लेकिन कोरोना भी खुले में ही घूम रहा है, वो लॉक नहीं हुआ है। उससे बचने के वो सारे उपाय करने होंगे तो जरूरी हैं। कहीं भी कोई कोर कसर नहीं छोड़नी होगी। अगले कुछ महीनों तक हो सकता है एक साल तक या फिर शायद दो साल तक आपको हमें अपने आपको सिर्फ अनिवार्य और जरूरी अवसरों पर ही बाहर निकालना होगा। ये साल बस जिंदगी जीने का है, कमाने कर कुछ जमाने के लिए ये साल बिल्कुल नहीं है, ये सब पर लागू होगा चाहे वो किसी भी तबके का व्यक्ति हो। जो इस कड़ी को तोड़ेगा वो खुद के लिए और दूसरों के लिए भी समस्या बनेगा।
दफ्तर जाइए लेकिन दूरी बनाईए, हम पहले भी कह चुके हैं कि बनियान नहीं खरीदेंगे तो चलेगा लेकिन बिना मास्क के नहीं चलेगा। 2 गज की दूरी तो बहुत ही जरूरी है। खुद भी समझिए और दूसरों को भी समझाइए। हाथ धोइए, अभी कुछ दिनों तक बेवजह घूमने से परहेज करिए। दफ्तर के मालिकान और अधिकारी नहीं समझ रहे तो उन्हें समझाइए, हेल्पलाइन पर शिकायत भी कर सकते हैं। खुद को बचाइए, क्यूंकि आप पर ही आपके परिवार का वर्तमान और भविष्य निर्भर है। क्यूंकि खतरा अभी टला नहीं है, हमारा अदृश्य दुश्मन और मज़बूत हो रहा है। इसलिए संभल कर ।