हमने ये सुना है, देखा है कि कई बार घरों में जरूरी कागजात-कपड़े हमारी लापरवाही से चूहे कुतर जाते हैं। लेकिन क्या कभी सुना है कि ये चूहे लाखों लीटर शराब पी सकते हैं, क्या कभी ऐसा सुना है कि किसी सरकारी दफ्तर से हजारों फाइलों का पुलिंदा कुतरने की बजाए चूहे सफाचट कर जाएँ, क्या कभी ऐसा सुना है कि पचासों साल तक मजबूती से खड़े रहने के लिए बनाए गए बांध चूहे खा जाएं और बाढ़ के बाद सैकड़ों लोगों की जान चली जाए, लाखों लोग बेघर हो जाएँ, क्या आपने कभी सुना है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की पाइप चूहे कुतर जाएं और तो और नवजात शिशु की जान अस्पताल में चूहे ले लें। अगर आपने यह सब नहीं सुना है तो हम बता दें कि पिछले एक दशक में बिहार में यह सब कुछ हो चुका है, और ताजा घटना है बिहार में शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले से जुड़ी।
इस बार बिहार के इन शरारती चूहों ने या यूं कहिए सत्ता के वफादार बिहार के शरारती चूहों ने एक बार फिर से नया कारनामा किया है। कुछ साल पहले शराबबंदी के बाद 9 लाख लीटर शराब पी चुके चूहे अब इतनी शरारत कर रहे हैं 40 हजार शिक्षकों की भर्ती से जुड़ी फाइलें सफाचट कर गए। बिहार में 5 साल पहले जब फर्जी डिग्री का मामला गरम हुआ तो जांच बिठा दी गई, पहली जांच में ही हजारों शिक्षक फर्जी कागजात वाले मिले, कई जिलों में तो शिक्षकों ने स्कूल छोड़कर दूसरा व्यवसाय अपना लिया। चूंकि मामला अदालत में पहुंच गया इसलिए जांच तो की ही जानी थी। 3 लाख 50 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी और दावा किया गया कि तकरीबन 1 लाख से ज्यादा शिक्षक फर्जी कागजातों के सहारे नौकरी पाए बैठे हैं। हालांकि उनकी क्षमता देखकर यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये तादाद बढ़ भी सकती है। चुनावी साल है और अगर फर्जी डिग्रीधारियों का मामला तूल पकड़ेगा तो शासन के लिए मुश्किलें होंगी। अब ऐसे मुश्किल में तो कोई न कोई वफादार ही काम आ सकता है । बिहार के सरकारी अमलों को पहले से पता है कि वो जमाना लद गया जब भैरव के वाहन कुत्ते वफादार होते थे अब तो मामला सीधे भगवान गणेश से जुड़ा है, और जब उनकी कृपा बरस जाए तो फिर कहना ही क्या ।
फर्जी भर्ती घोटाले से जुड़े अधिकारियों ने दिन-रात भगवान गणेश की गुहार लगाई और भगवन प्रसन्न हुए, अपने वाहन को एक बार फिर काम पर लगा दिया। जिन 3. 50 लाख फाइलों की जांच होनी थी उसमें से ताजा सूचना तक 40-50 हजार फाइलें भगवन के वाहन मूषक महाराज ने जांच ली। अब जब सीधे ऊपर वाले के दरबार में ही फाइलों की जांच हो जाए तो नीचे मनुष्यों की क्या औकात । पहले दौर में जितनी फाइलों की जांच शुरु हुई थी उनमें से ज्यादातर फर्जी डिग्री वाले निकलने लगे थे लिहाजा गुहार सुन ली गई और 9 लाख लीटर शराब पीकर मदमस्त चूहों ने कम समय में ही शानदार परफार्मेंस देते हुए तकरीबन 50 हजार फाइलें जड़ से निपटा दीँ।
2015 से जांच में जुटी टीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पांच सालों में साढ़े तीन लाख फाइलें न तो जुटा पाईं और न ही जांच पाईं, लेकिन इस बीच ये जरूर हो गया कि 50 हजार से ज्यादा फाइलें जड़ से मिटा दी गईँ। अभी तकरीबन 1 लाख और फाइलें हैं जो लापता हैं निश्चित तौर पर आने वाले समय में इन फाइलों पर चूहों की नजर पड़ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि वो दो साल से लाखों लीटर शराब पीकर मदमस्त यहां-वहां जो घूम रहे हैँ। चुनाव की रणभेरी बिहार में भी बज चुकी है, यह एक ऐसा मामला है कि विपक्ष सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा कर सकती है लेकिन सिवाय एक-दो ट्वीट के विपक्ष ने भी इस मुद्दे को ज्यादा हवा नहीं दी और उसकी दो वजह हो सकती है। पहली या तो वो सोच रहे हैं कि सत्ता के इस वफादार को बने रहे दिया जाए शायद हमारे भी काम आएँ। या फिर उन्हें अपनी फर्जी डिग्रीधारियों के भेद खुलने का डर सता रहा हो। चाहे जो हो लेकिन सत्ता के वफादारों की चूहागीरी में बिहार तो बेहाल ही है।