Report : Hiralal Prasad, Special Correspondent
पटना । हम हर रोज छेड़छाड़, यौन हिंसा और बलात्कार जैसी वारदातों के बारे में पढ़ते-सुनते रहते हैं। लेकिन क्या कभी इस पर गौर किया है कि समाज में सुरसा की तरह बढ़ रही इस विकृति के पीछे कौन कौन से कारण जिम्मेदार हैं। दुनिया भर में पिछले कुछ समय से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसी घटनाओँ के लिए सबसे अहम कारणों में से एक पोर्न वेबसाइट्स का बाजार है। ताजा रिपोर्ट बिहार की राजधानी पटना के बारे में है और काफी चौंकाने वाले आंकड़े हैँ।
दिन में सचिवालय और रात में जंक्शन पर ज्यादा देखे जाते हैं पोर्न साइट्स
पिछले दिनों जब हैदराबाद में गैंगरेप के बाद एक डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी तो पूरे देश में उबाल था लेकिन उसी वक्त रिपोर्ट आई कि गूगल पर हैदराबाद गैंगरेप वीडियो सर्च करने वालों की तादाद काफी थी। बाद में पुलिस ने सभी आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया और पूरे देश में जश्न मना, यह हम सबने देखा। इस रिपोर्ट ने भी घर घर में घुस चुके पोर्न साइट्स के प्रभाव को दिखाया था। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा पोर्न वीडियो पटना जंक्शन के दायरे में देखे जा रहे हैं। सोमवार रात 11 से 12 बजे तक गूगल ट्रेंड्स एनालिटिक्स और एलेक्जा रैंकिंग के डेटा से सामने आया कि मोबाइल वीडियोज़ देख रहे यूजर्स में 96 प्रतिशत पोर्न कंटेंट पर नज़र गड़ाए थे। इसी समय सचिवालय-आसपास में यह आंकड़ा शून्य पर था, हालांकि रात गहराई तो यहां वीरानी में भी लोग नेट पर एक्टिव हुए और ऐसे कंटेंट देखने लगे।
सचिवालय की सुनसान सड़कों पर भी यूज़र, लंच आवर में ज्यादा देखे
डराने वाला आंकड़ा तब सामने आया जब मंगलवार को सचिवालय के इलाके के डेटा पर नजर रखी गई। आंकड़े बताते हैं कि जहां सोमवार की शाम में इस इलाके में कोई भी पोर्न साइट्स नहीं सर्च कर रहा था वहीं मंगलवार को लंच आवर में यह बढ़कर 12 प्रतिशत तक पहुंच गया। सोमवार रात 9 से 11 बजे तक सचिवालय क्षेत्र में कोई भी गूगल के जरिए पोर्न कंटेंट देखने वाला नहीं मिला, लेकिन रात 11:36 बजे नेट पर एक्टिव लोगों में 7 प्रतिशत पोर्न देख रहे थे। मंगलवार दोपहर सचिवालय में आंकड़ा 12 प्रतिशत तक चला गया। संत माइकल, नॉट्रेडम और डॉन बॉस्को में सोमवार देर रात और मंगलवार दोपहर को शून्य प्रतिशत का आंकड़ा मिला।
पोर्न के अंधेरे में राजधानी के पीजी और हॉस्टल, यहां भी सर्चिंग तेज
चिंता की बड़ी बात यह सामने आई कि रात में बोरिंग रोड, पटेल नगर, एसकेपुरी, किदवईपुरी आदि के कई हॉस्टल कैंपस के ऐसे आंकड़े निकाले गए तो यह 39 से 43 प्रतिशत के बीच आए। यह डरावना इसलिए भी है कि इन इलाकों में लड़कियां अपने परिवार से दूर पढ़ाई और छोटी मोटी नौकरी के लिए अकेले रहती हैं, आस पास कोई जाननेवाला या भरोसेमंद होता है जिसके सहारे उनके माता-पिता यहां रहने की अनुमति देते हैँ। इन इलाकों के लगभग सभी गर्ल्स हॉस्टल में रात 11:16 पर गूगल के जरिए वीडियोज़ देखने वालों में 39 प्रतिशत यूज़र पोर्न वीडियो देख रहे थे। बोरिंग रोड के एक कॉमन हॉस्टल में देर रात यह आंकड़ा 43 प्रतिशत मिला। ऐसा संभव है कि इन इलाकों में पोर्न साइट्स लड़कियों की जगह इन हॉस्टल के केयरटेकर या फिर गार्ड या फिर रसोइए ये साइट्स देखते हों लेकिन यह और भी खतरनाक है।
सर्विस प्रोवाइडर को पता है सर्च टर्म, वहीं से रोक संभव
आईटी एक्सपर्ट के अनुसार आईएसपी, यानी मोबाइल इंटरनेट या वायर्ड इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को पता है कि किसी खास इलाके में किस सर्च टर्म पर लोग हिट कर रहे हैं। ऐसे एक-एक टर्म को ब्लॉक करना आईएसपी के लिए संभव है। इन्हें इससे डेटा बेचने का मौका मिलता है, इसलिए नहीं रोकते हैं। सरकार को इसके लिए कोई ठोस और सख्त कदम उठाने होंगे। देश में पिछले साल बड़ी तादाद में पोर्न वेबसाइट को ब्लॉक किए जाने के बाद अब इंटरनेट यूज़र गूगल पर नए टर्म्स से ऐसे वीडियोज़ ढूंढ़ रहे हैं, देख रहे हैं। लेकिन, सिर्फ यूजर ही गूगल पर सबकुछ नहीं देख रहे, उन्हें भी कोई देख रहा है। किसी पर नज़र रखना गलत है, लेकिन बात समाजहित की है इसलिए जिस संस्था ने यह सर्वे किया है हम उसको साधुवाद देते हैं।