Report : गैब्रियल जेएक्स डैंस और माइकल एच केलर, The NewYork Times .
यह कितना भयावह और डरावना है कि दुनिया भर में इंटरनेट पर सिर्फ एक साल में 2019 में बच्चों के साथ यौन शोषण के 7 कराेड़ फाेटाे-वीडियाे अपलाेड या शेयर किए गए। द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इन 7 करोड़ मामलों में अकेले फेसबुक पर 6 करोड़ फोटो-वीडियो अपलोड या शेयर हुए।
5 साल पहले यह संख्या महज 3.6 लाख थी
दुनियाभर की 164 टेक्नाेलाॅजी कंपनियाें द्वारा अमेरिका के नेशनल सेंटर फाॅर मिसिंग एंड एक्सप्लाॅइटेड चिल्ड्रन काे साैंपी गई रिपाेर्ट से यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में साफ साफ लिखा है फेसबुक, गूगल जैसे ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म पर बाल याैन उत्पीड़न संबंधी फाेटाे और वीडियाे की भरमार है और महज एक साल में वर्ष 2019 में इन वेबसाइट्स पर बाल याैन उत्पीड़न संबंधी 7 कराेड़ फाेटाे-वीडियाे अपलाेड या शेयर किए गए। इनमें 4.12 कराेड़ से ज्यादा वीडियाे, 2.79 कराेड़ से अधिक फाेटाे और 89 हजार अन्य फाइल थीं। रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि पांच साल पहले 2014 में यह संख्या महज 3.6 लाख थी। 2018-19 के बीच यह संख्या तकरीबन दोगुनी हो गई है। निश्चित तौर पर यह चिंता की बात है । अमेरिकी संस्था ने पहली बार कंपनियाें की विस्तृत रिपाेर्ट जारी की है।
सिर्फ फेसबुक पर 6 करोड़ शेयर किए गए
रिपाेर्ट के मुताबिक फेसबुक व इससे जुड़े प्लेटफाॅर्म पर सबसे अधिक फाेटाे-वीडियाे रिपाेर्ट हुए। यह कुल फाेटाे-वीडियाे का 85% है। यानी बाल याैन उत्पीड़न संबंधी 6 कराेड़ फाेटाे-वीडियाे फेसबुक पर शेयर किए गए। नेशनल सेंटर के वाइस प्रेसीडेंट जाॅन शेहान के मुताबिक, जिस भी व्यक्ति के पास ऐसे फाेटाे-वीडियाे पहुंचते हैं, वह देखता है और आगे बढ़ाने से नहीं चूकता। इनमें सभी तरह का कंटेंट शामिल है। संभव है वह चाइल्ड पाेर्नाेग्राफी की कानूनी परिभाषा से मेल न खाता हाे। हालांकि रिपाेर्ट समस्या की पूरी तस्वीर नहीं बताती है। सभी कंपनियाें में ऐसे कंटेंट की पहचान का तरीका एक जैसा नहीं है। जैसे अमेजन व माइक्राेसाॅफ्ट अवैध कंटेंट की काेई पहचान नहीं करती हैं। वहीं स्नैप सिर्फ फाेटाे स्कैन करती हैं, वीडियाे नहीं। यदि सभी कंपनियां गंभीर प्रयास करें ताे यह आंकड़ा 10 कराेड़ तक भी पहुंच सकता है।