Report : Hiralal Prasad
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में देश भर के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बात करते हुए बच्चों का काफी उत्साह बढ़ाया और कहा कि कभी निराश मत हो, डरो नहीं आगे बढ़ो। सही सोच जीत दिलाएगी। इस कार्यक्रम में करीब 2,000 छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने भाग लिया. इनमें से 1,050 छात्रों का चयन निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया गया था। कार्यक्रम सोमवार दोपहर 11 बजे शुरू हुआ था और बीजेपी के ‘यूट्यूब’ (YouTube) चैनल पर भी इसका सीधा प्रसारण किया गया। ‘परीक्षा पे चर्चा’ के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उन छात्रों का चयन किया, जिन्होंने पांच विषयों पर उनके द्वारा दिए गए निबंधों को सही रूप से प्रस्तुत किया था।
‘सोच ही जीत दिलाती है’
प्रधानमंत्री ने क्रिकेट मैच का उदाहरण देते हुए समझाया, ‘‘2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच था। सारा माहौल डिमोटिवेशन का था। पब्लिक गुस्सा हो जाती है। आपको याद होगा कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने ऐसा कमाल किया, शाम तक खेलते रहे और सारी परिस्थिति को उलट कर दिया। वे मैच को जीत कर आ गए। हम यह बना लें कि अगर सोच लें कि हम कैसे हार सकते हैं? जूझ जाएं तो नतीजा बदल सकता है। 2002 के एक मैच में कुंबले जी को जबड़े में गेंद लग गई थी। हम सोच रहे थे कि अनिल बॉलिंग कर पाएंगे या नहीं। अगर वे न भी खेलते तो देश उन्हें दोष न देता, लेकिन उन्होंने तय किया कि उतरेंगे और पट्टी लगाकर मैदान पर उतरे। उस समय ब्रायन लारा का विकेट लेना बड़ा काम माना जाता है। उन्होंने लारा का विकेट लेकर पूरा मैच पलट दिया। यानी एक व्यक्ति की हिम्मत से परिस्थितियां कैसे बदल सकती हैं, वो दिखाई दिया। एक आदमी का संकल्प कइयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।’’
‘इस दशक में नई पीढ़ी पर निर्भरता’
मोदी ने कहा, ‘‘मैं सबसे पहले नए साल 2020 की शुभकामनाएं देता हूं। यह केवल नया साल नहीं, बल्कि नए दशक की शुरुआत है। इस दशक में देश जो भी करेगा, उसमें 10वीं-12वीं के छात्रों का सबसे ज्यादा योगदान होगा। देश नई ऊंचाइयों को पाने वाला बने, नई सिद्धियों के साथ आगे बढ़े। यह सब इस पीढ़ी पर निर्भर करता है। इसलिए इस दशक के लिए मैं आपको अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं।’’
‘‘अगर कोई मुझे कहे कि सारे इतने कार्यक्रमों के बीच कौन सा कार्यक्रम दिल के करीब है, तो वह है परीक्षा पर चर्चा। मुझे अच्छा लगता है कि जब इसकी तैयारी होती है, तब युवा क्या सोच रहा है, इस बात को मैं महसूस कर सकता हूं। हमारे बीच हैशटैग विदआउट फिल्टर यानी खुल कर बातें होनी चाहिए। दोस्त की तरह बातें करेंगे, तो गलती हो सकती है, आपसे भी और मुझसे भी। मुझसे गलती होगी तो टीवी वालों को भी मजा आएगा।’’
‘मूड खराब न करें’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘नौजवानों का मूड ऑफ होना ही नहीं चाहिए। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि मूड ऑफ क्यों होता है। अपने खुद के कारण से या बाहर की परिस्थिति से। ज्यादातर मामलों में दिमाग खराब होता है, काम का मन नहीं करता। उसमें बाहर की परिस्थितियां ज्यादा जिम्मेदार होती हैं। आप पढ़ रहे हैं और अगर आपकी चाय 15 मिनट लेट हो जाए, तो आपका दिमाग खराब हो जाता है। लेकिन अगर आपने यह सोचा कि मां इतनी मेहनत करती है, इतनी सेवा करती है, जरूर कुछ हुआ होगा, जो मां चाय समय से नहीं दे पाई। तो आपका मूड अचानक से चार्ज हो जाता है। अपनी अपेक्षा पूरी न हो पाने के कारण हमारा मूड ऑफ होता है।’’
2018 में पहली बार हुई थी परीक्षा पर चर्चा
कार्यक्रम के लिए 2.6 लाख रजिस्ट्रेशन हुए। इसे लेकर छात्रों-अभिभावकों में बेहद उत्साह है। प्रधानमंत्री के संवाद कार्यक्रम का पहला संस्करण 16 फरवरी 2018 को तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया था। इस बार के कार्यक्रम में पूरे देश से 2000 छात्रों ने भाग लिया। इनमें से 1050 का चयन निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया गया। इसमें 9वीं से 12वीं क्लास के छात्र शामिल हुए।