डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह की एक और चिट्ठी पढ़िए, जहां अपने दोस्त को लिखी चिट्ठी में वो अपने मातृभूमि से अपने प्यार का जिक्र करते हैं वहीं अपने पिता को लिखी इस चिट्ठी में समाज में व्याप्त बुराईयों का जिक्र करते हुए अपने परिवार को भी उस बुराई से बचने की सलाह दे रहे हैँ। ये चिट्ठियां भी उनके गणित के फॉर्मूले से कम बड़ी उपलब्धि नहीं है।
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।
मैं यहां कुशलपूर्वक रहते हुये आपकी कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं जिसे सुनकर दिल खुश हो। 2 फरवरी की लिखी हुई आपकी चिट्ठी कल मिली। पढ़कर बहुत खुशी हुई। प्रो.केली ने पूरे परिवार की तरफ से आपको प्रणाम भेजा है।वे कल आपकी बहुत प्रशंसा कर रहे थे। सीता बब्बी की शादी के बारे में मां को समझाइएगा।परिवार ने तो एक बड़ी गलती यह की कि उसको पढ़ाया नहीं।पढ़ाना चाहिए था जिससे उसकी बुद्धि का विकास होता।आदमी और पशु में बुद्धि का ही बड़ा अंतर है। खैर, पढ़ने से ही बुद्धि नहीं होती और बहुत से बुद्धिमान व्यक्ति पढ़े-लिखे नहीं होते। लेकिन यदि सीता बब्बी को पढ़ाया जाता तो आपको उसकी शादी के विषय में बहुत चिंता नहीं करनी पड़ती। हमारे यहां तो तिलक देने का रिवाज है जो बहुत बड़ी मूर्खता है।तिलक का रुपया तो लड़की को शिक्षित करने में खर्च करना चाहिए। हमलोग भी तिलक देंगे लेकिन कम से कम मूर्ख लड़के से बब्बी की शादी नहीं करेंगे। वैसे लड़के से शादी करेंगे जो बुद्धिमान हो,स्वस्थ हो,सच्चरित्र हो ,लेकिन समाज की कुरीतियों से नहीं डरे। अपने समाज में बहुत कुरीतियां हैं। अपने समाज में साधारण आदमी अपनी बुद्धि का उपयोग नहीं करता।केवल कहावत के अनुसार चलता है।आप सीता बब्बी को अंग्रेजी पढ़ने को कहिए।और मेरी किताबों को पढ़कर गणित सीखने को कहिए।हो सके तो एक लेडी मास्टर भी रख लीजिए।यदि वह अभी अंग्रेजी पढ़ेगी तो भविष्य में अच्छा होगा।अभी उसका मन बहलेगा और भविष्य में मुझे यदि उसको यहां बुलाना हो तो आसानी होगी।
बब्बी की शादी अभी नहीं की जाएगी।आप श्रीकृष्ण ,छठीलाल और संतोष को भी अंग्रेजी मन से पढ़ने को कहिएगा।अंग्रेजी और विज्ञान दोनों।श्रीकृष्ण का उत्साह कम मत होने दीजिएगा।नेतरहाट की परीक्षा पास न करे तो आरा या पटना कालेजियेट में उसका नाम लिखवा दिया जाएगा। खैर, उसको यह बात समझा दीजिएगा कि उसकी पढ़ाई की चिंता तभी की जाएगी जब वह सब कुछ छोड़कर मन लगा कर पढ़ेगा। मेरा विश्वास है कि श्रीकृष्ण मन लगा कर पढ़ता है।
वह गांव के स्कूल की परीक्षा में द्वितीय आया था।मिहनत करके फर्स्ट आना चाहिए।उसका उत्साह बढ़ाए रखिएगा।
मां,बड़ी मां ,मौसी, भाभी लोग ,बड़े बाबू जी और भैया लोगों को सादर प्रणाम।सावित्री और अशोक का समाचार लीखिएगा।
बड़ों को सादर प्रणाम और छोटों को शुभाशीर्वाद।
शेष कुशल है।
आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा।
बड़े बाबू जी को भी स्वास्थ्य पर ध्यान देने को कहिएगा।
काशी, इंद्रदेव भाई श्री अयोध्या सिंह …….कुछ नाम अस्पष्ट हैं–को यथायोग्य।
आपका….वशिष्ठ.