Report: Sanjeev Kumar, Senior Journalist
भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में बनी रहती हैं। उन्होंने बीते बुधवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ के रूप में संबोधित किया। नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने के बाद से ही सोशल मीडिया पर प्रज्ञा ठाकुर की जमकर आलोचना की जा रही है। सांसद को तत्काल प्रभाव से रक्षा सलाहकार समिति से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
भारतीय जनता पार्टी ने सांसद प्रज्ञा ठाकुर पर कार्रवाई करते हुए उन्हें रक्षा मामले की सलाहकार समिति से हटाने का फ़ैसला किया है। प्रज्ञा ठाकुर ने बुधवार को लोकसभा में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा था।
वरिष्ठ भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने फौरी कार्रवाई के बारे में कहा, “भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान निंदनीय है। भारतीय जनता पार्टी कभी भी इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करती है। हमलोग इस तरह की विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं। हमने उन्हें रक्षा मामले की सलाहकार समिति से हटाने का फ़ैसला किया है। साथ ही संसद के मौजूदा सत्र में उन्हें संसदीय दल की बैठक में आने की अनुमति नहीं होगी.”
इसके साथ ही पूरे सियासी जगत में इस मामले को लेकर भाजपा की हुई फजीहत पर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश भी की जा रही है ।खुद भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए ऐसी मनोदशा से बचने की हिदायत भी दी।
इस तरह की सारी कार्रवाई सही है लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि आखिर बात यहां तक पहुंची ही क्यूं ? क्या प्रज्ञा की यह पहली करतूत है जिसपर पार्टी या समाज को शर्मिंदा होना पड़ा है ? आखिर भाजपा को बार बार इस तरह के दिन क्यूं देखने पड़ रहे हैं ? जब पहले भी कई बार प्रज्ञा इस तरह की गलतियां कर चुकी हैं तो कोई ठोस और स्थायी उपाय क्यूं नहीं किये जाते?
ताजा मामला लोकसभा चुनाव का भी है, उसी समय भाजपा को फैसला ले लेना चाहिये कि उसे प्रज्ञा जैसी बददिमाग नेता चाहिये या फिर बारबार फजीहत और शर्मसार कराने वाली नेता स्वीकार्य है ! संसदीय उम्मीदवार बनने के तुरंत बाद प्रज्ञा ने गोडसे को देशभक्त कहा था।
जब प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी की हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस बयान के लिए वो उन्हें कभी दिल से माफ़ नहीं कर पाएंगे। अब ये बात खुद मोदी जी को सोचना चाहिये कि आखिर ये कौन सी मजबूरी है जो इस संकट को वो और भाजपा लगातार ढोए जा रहे हैं।
समय आ गया है जब इस विषय पर बिना देरी किये एक ठोस निर्णय पर आकर प्रज्ञा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएं, अब और ज्यादा उन सिद्धांतों को तिलांजलि देकर बर्बादी के रास्ते पर ना चलें.