Report : Media Sarkar Bureau
नई दिल्ली: स्वच्छता अभियान देश के विकास के लिए एक जरूरी अभियान है। लेकिन जब उस अभियान के जरिए देश भर में गलत बयानी होने लगे तो आप क्या कहेंगे। केंद्र सरकार की एजेंसियां ही आपस में स्वच्छता अभियान के आंकड़ों पर एक दूसरे से मतभेद रख रही हैं। ऐसे में क्या सच है इस जमीनी हकीकत को महसूस करना होता है।
NSO की रिपोर्ट ने खड़े किए सवाल
एक तरफ कुछ समय पहले केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के जरिए दावा किया गया कि उसके डेटाबेस की रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण भारत के 100 फीसदी घरों में शौचालय है और भारत खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। हालांकि यह हकीकत नहीं है और आए दिन इसकी हकीकत सामने आती रहती है।
सरकार के इस मिशन की पोल अब एक दूसरी सरकारी एजेंसी ने खोल दी है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की “भारत में पेयजल, स्वच्छता, आरोग्यता और आवासीय स्थिति” नाम से एक रिपोर्ट आई है । इस रिपोर्ट के मुताबिक 29 फीसदी ग्रामीण घरों और चार फीसदी शहरी घरों में शौचालय नहीं है.
ये सर्वेक्षण जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 के बीच में कराया गया था। उस समय तक स्वच्छ भारत मिशन के डेटाबेस के मुताबिक भारत के 95 फीसदी घर खुले में शौच से मुक्त हो चुके थे। NSO का सर्वे यह भी बताता है कि जब सरकार एक तरफ 95 फीसद ODF का दावा कर रही थी उस वक्त तक यह आंकड़ा महज 71 फीसद तक हीं पहुंच पाया था।
सर्वे में पाया गया है कि उन राज्यों में भी शौचालय नहीं हैं जिन्होंने अपने राज्य को खुले में शौच से मुक्त कर दिया था। उदाहरण के तौर पर, आंध्र प्रदेश ने जून 2018 में राज्य को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया था, लेकिन एनएसओ ने अपने सर्वे में पाया कि यहां पर सर्वे में शामिल 22 फीसदी घरों में शौचालय नहीं थे। वहीं महाराष्ट्र को भी अप्रैल 2018 में खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था, लेकिन एनएसओ के अनुसार यहां के 22 फीसदी घरों में शौचालय नहीं था।
अक्टूबर 2017 में गुजरात को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था, लेकिन सर्वेक्षण में बताया गया है कि राज्य के 24 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है। पिछले साल नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी गुजरात सरकार द्वारा राज्य को खुले में शौच मुक्त करने के दावे पर सवाल उठाया था। यहां के आठ जिलों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि 30 फीसदी घरों में शौचालय नहीं हैं.
ये रिपोर्ट देश भर के लगभग 9,000 घरों के सर्वेक्षण पर आधारित है जो पिछले साल जुलाई और दिसंबर के बीच आयोजित किया गया था।