Report: Sanjeev Kumar, Senior Journalist
दोनो अमन चैन चाहेंगे
कल सुप्रीम कोर्ट ने एक अध्याय को बन्द कर दिया जहां दो अलग अलग कौमौ या विचारधाराएं अपनी अपनी इच्छाओं को तर्कों के दम पर रखकर मंदिर और मस्जिद पर दावे कर रहे थे. अगले कुछ दिनों में सर्वोच्च न्यायालय फैसला सुनाएगा. लड़ाई खत्म हो जाएगी. द्वंद मिट जाएगा.उड़ते हौसलों और जोश के उन्मादी तेवर को खत्म कर देना पड़ेगा, वो इस लिए कि इसपर कोर्ट का आदेश आ जाएगा .
ये तो है नियम कानून की बात पर क्या हकीकत भी यही होनेवाला है ? क्या सचमुच ये सब संभव है,क्या दोनो ही कौमो के दिल में यही बात है कि दोनो कोर्ट के फैसले को मन से मान लेंगे ? जिस पक्ष के लिए कोर्ट अपेक्षित आदेश देगा उसके लिए तो कोई परेशानी की बात नहीं पर जिसके खिलाफ फैसला होगा जरा उसके मन को टटोलिए फिर सोचिये हालात को .
फिलहाल य़ह मानकर चलें हम नदी के बीचोबीच हैं और अभी की परिस्थिति को देखिये . पहला- राम जन्मभूमि न्यास से जुड़े राम विलास वेदांती ने कहा, ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन हैं। ये कांग्रेस के नेता हैं। ये चाहते हैं कि इस मुकदमे को कैसे आगे बढ़ाया जाए, कैसे सुनवाई रोकी जाए और उसको विवादित कर दिया जाए। उन्होंने कहा है कि कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर का दावा हिंदू वापस ले लें। हम कौन होते हैं भाई। हम तो रामलला की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम रामलला की बात करेंगे। कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ तो हिंदुओं का ही है।हम उससे किसी प्रकार की सहमति नहीं चाहते हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड जानता है कि वे मुकदमा हार गए हैं. हम किसी कीमत पर रामलला की भूमि को छोड़ना नहीं चाहते हैं। रामलला की विजय हो चुकी है, सिर्फ फैसला आना बाकी है।”
अब आईए दूसरे पक्ष के हालात को देखें – खबर आयी कि कुछ मध्यस्थता की बात हो रही है , इसपर प्रतिक्रिया
इकबाल अंसारी के वकील का दावा- मध्यस्थता की बात गलत, नहीं छोड़ेंगे जमीन मुस्लिम पक्ष की ओर से इस मामले में मध्यस्थता की खबरों का खंडन किया गया है. मुस्लिम पक्ष की ओर से पक्षकार इकबाल अंसारी के वकील एम.आर. शमशाद ने एक बयान जारी कर कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जमीन पर दावा छोड़ने की बात नहीं की है, ये सभी अफवाहें हैं.
ये दो उदाहरण काफी हैं इस समय की परिस्थिति को समझने के लिए वरना ऐसे कई और मनोदशाएं हो सकती हैं जिनहे बताया जा सकता है पर जरूरी नहीं सबको यहां रखा जाए .. फिलहाल इतने पर ही इशारों से समझा जाए.
पर इन सारी बातों के साथ इस समस्या को जल्दी खत्म करने की इच्छा हर किसी के मन में है. कोई भी पक्ष किसी तरह से देश और समाज का माहौल खराब नहीं करना चाहते और यही वजह है कि दोनो पक्षों के मामले को बीच के रास्ते से हल करने की बात भी कही गयी है . यानि कि दो में से कोई भी पक्ष लड़ाई या द्वेष नहीं चाहता. दोनो ही समाज में इंसानीयत ौर अमन चाहते हैं …… और उम्मीद भी यही है कि अमन का मिशन कामयाब होगा .