Report : Media Sarkar Bureau
दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित(Charkha Dialogue) चरखा डायलॉग में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने चरखा संवाद के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि गांधीजी हमारी भारतीय संस्कृति के द्योतक और अग्रदूत हैं। राज्यपाल ने कहा कि गांधी और चरखा को अलग अलग नहीं किया जा सकता। चरखा समाज की प्रगति का प्रतीक है और गांधी यही तो चाहते थे।
चरखा नाम सुनकर ही कार्यक्रम में आने का मन हुआ
मृदुला सिन्हा ने कहा कि जब हमें इस कार्यक्रम का न्यौता मिला तो हमने अपने विशेष अधिकारी को सिर्फ चरखा नाम पढ़कर ही कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होना तय करें। चरखा के आगे डायलॉग लिखा है या कुछ और इसे भी जानने की जरुरत नहीं समझी, क्योंकि चरखा से ही एक अद्भुत लगाव महसूस करती रही हूं। राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि अपने स्कूली जीवन का पहला पुरस्कार गांधी पर बोलने की वजह से मिला और पुरस्कार के तौर पर चरखा मिला था। श्रीमती सिन्हा ने आगे अपने जीवन का अहम पहलू उजागर किया और बताया कि उनकी शादी के वक्त उनके होने वाले पति ने शादी के लिए हामी भी सिर्फ इसलिए भरी क्योंकि मैं चरखा चलाना औऱ सूत कातना जानती थी। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चरखा किस कदर हमारे मन में बसा हुआ है।
गांधी के कार्य और विचार सत्य का पोषण करते हैं।
मृदुला सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि अपना भाषण देते हुए कहा कि गांधीजी के कार्य और विचार सत्य का पोषण करते हैं। गांधीजी के बिना आधुनिक भारत की कल्पना करना असंभव है। मृदुला सिन्हा ने यह भी कहा कि हमारे भारत को गांधी के विचारों पर केंद्रित अर्थव्यवस्था बनाकर ही गांवों और लोगों को अत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। चरखा संवाद के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि चरखा कहने से गांधीजी की तस्वीर उभरती है। चरखा जीवन के चलाने तथा चलते रहने का प्रतीक है।
Charkha Dialogue जैसे प्रयास बहुत जरूरी
अपने उद्बोधन में मृदुला सिन्हा ने कहा कि Charkha Dialogue जैसे प्रयास बहुत जरूरी हैं और इसके लिए इसके आयोजक अनुरंजन झा और उनकी पूरी टीम बहुत बहुत साधुवाद के अधिकारी हैं। ऐसी कोशिश और होती रहनी चाहिए इसके जरिए गांधी के विचारों के सहारे दुनिया को कैसे बेहतर किये जा सकते हैं उसकी सोच निकलती है क्योंकि उसी के सहारे एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सकता है