नई दिल्ली । 11 अक्टूबर शुक्रवार को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित हो रहे चरखा डायलॉग में देश-विदेश के विद्वानों का जमावड़ा लग रहा है। इस संवाद में सुबह 10 बजे से लेकर शाम के पांच बजे तक विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान देश के विकास के लिए जरुरी पहलुओं पर अपने विचार रखेंगे
कार्यक्रम के उद्धाटन सत्र में सुबह 10 बजे, खादी औऱ खेती के जरिए स्थायी विकास की बात होगी। इस सत्र में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गेहलोत, गोवा की माननीय गवर्नर मृदुला सिन्हा, लघु और मध्यम उद्योगों के राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी के अलावा भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष प्रभात झा, मुख्य वक्ता होंगे।
दूसरे सत्र में 12 बजे स्थायी खेती और उनके उत्पादों के समुचित विकास पर चर्चा की जाएगी। लंच के बाद दिन में दो बजे लघु और कुटीर उद्योगों के विकास और उसके जरिए बेहतर जीवन यापन चर्चा के केंद्र में रहेगा।
3.15 मिनट से खादी और जीवन पर हम विशेष तौर पर उन्हीं क्षेत्रों से आमंत्रित वक्ताओं से उनके विचार सुनेंगे और आखरी सत्र में शाम 4.15 बजे ग्रामीण विकास, समग्र विकास पर देश के प्रबुद्ध पत्रकारों समेत गांवो में काम लगातार काम कर कॉरपोरेट घरानों के प्रतिनिधियों से उनकी योजनाओँ के बारे में जानेंगे।
कार्यक्रम के संयोजक और भोर चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अनुरंजन झा ने बताया कि चरखा डायलॉग के जरिए हम देश को बताना चाहते हैं गांधी का चरखा न सिर्फ पुरातन मान्यताओँ का द्योतक है बल्कि वो हमें लगातार आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। गांधी का चरखा समाज में लगातार हो रहे बदलावों को दर्शाता और सतत विकास की प्रकिया के बारे में बताता है। निश्चित तौर पर चरखा से स्थायी और सतत विकास की सीख मिलती है।