Report: Media Sarkar Bureau
अब उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री एवं सभी मंत्री अपने इनकम टैक्स का भुगतान स्वयं करेंगे। जी हां ये नया आदेश उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आया है। अभी तक पिछले 38 सालों से उत्तरप्रदेश के मंत्री इस छूट का मजा ले रहे थे। उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज एलाउन्सेस एंड मिसलेनियस एक्ट-1981 के अन्तर्गत सभी मंत्रियों के इनकम टैक्स बिल का भुगतान अभी तक राज्य सरकार की ट्रेजरी द्वारा किया जाता है। लेकिन अब इस नए आदेश के बाद उनकी ये पुरानी आजादी खत्म हो गयी है.अभी तक 1981 से उन्नीस मुख्यमंत्रियों और एक हजार मंत्रियों के सारे टैक्स उत्तरप्रदेश सरकार ही भरती आ रही थी।
सरकारी खजाने से भरा जाता रहा है इनकम टैक्स
उत्तर प्रदेश में चार दशक पुराने कानून की वजह से राज्य के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. कानून में कहा गया था कि राज्य के सीएम और मंत्री अपनी कम वेतन के कारण इनकम टैक्स नहीं भर सकते और वो गरीब हैं. लेकिन चुनाव के दौरान दिए गए राज्य के मंत्रियों के हलफनामे कोई और ही कहानी बयां करते हैं.
चलिए जरा देखते हैं कुछ ऐसे ही लोगों की गरीबी को जिनके टैक्स को सरकार के खाते से दिया जाता रहा है –
दलित पिछ़ड़ों की आवाज को बुलंद करनेवाली कईबार उत्तरप्रदेश की मुखिया मायावती जी की गरीबी को आंकते हैं,2012 के राज्यसभा चुनाव के दौरान दिये गए हलफनामे के अनुसार इनके पास 111 करोड़ की संपत्ति थी। अब बताएं ये किस गरीबी रेखा के दायरे में आती हैं.
मुलायम यादव की बात करें तो उनकी गरीबी-अमीरी का अंदाज इसी बात से लगा सकते है कि महज कुछ ही सालों में उनकी संपत्ति तेरह गुणा बढ़ गयी। अखिलेश यादव की संपत्ति का भी आकलन इसी से किया जा सकता है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले पत्नी डिंपल समेत परिवार पर दर्ज हो चुके हैं। ये अलग बात है कि येन-केन-प्रकारेण क्लीन चिट गया। इसी तरह से कई और तत्कालीन मुख्यमंत्रियों में कांग्रेस से नारायण दत्त तिवारी, बीजेपी से कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और अब योगी आदित्यनाथ जैसे लोग भी रहे हैं जो कहीं से भी गरीब नहीं हैं।इसके बाद बारी आती है मंत्रियों की जिन्हें 38 सालों तक इसका फायदा मिलता रहा। चुनावों के समय दिये गए हलफनामे पर गौर करे तो हर बार पचास फीसदी से ज्यादा उम्मीदवार ही करोड़पति होते हैं ऐसे में एक हजार मंत्रियों में कितने गरीब और लाचार रहे होंगे।
जब 1981 में बिल को पास कराने के लिए विधानसभा में रखा गया था तब वीपी सिंह ने सदन में कहा था कि राज्य सरकार को मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने चाहिए क्योंकि ज्यादातर मंत्री गरीब हैं और उनकी आय बेहद कम है।
अब वर्तमान सीएम आदित्यनाथ सरकार ने जो फैसला लिया है निश्चित तौर पर सराहनीय है पर अफसोस यह कि अभी तक जो लूट हुय़ी उसका देनदार और दोषी कौन है। इस तरह की और भी लूट जारी है उसके लिए क्या होना चाहिये। और इस तरह के मामले महज उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि केन्द्र समेत कई और राज्यों में चल रहे है जिनपर अंकुश जरूरी है।