Report : Legal Bureau, Media Sarkar
अयोध्या मंदिर भूमि विवाद का निपटारा अब होने की कगार पर है। सुप्रीम अदालत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने साफ साफ कहा है कि वो 18 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म करना चाहते हैं ताकि अगले चार हफ्तों में फैसला लिखा जा सके। रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होंगे लेकिन उनके कार्यकाल का आखिरी दिन 15 नवंबर होगा। रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों को अपनी दलील पूरी करने के उनके मुताबिक वक्त देते हुए सुनवाई खत्म करने की समय सीमा 18 अक्टूबर तय की है। सुनवाई के 26 वें दिन संविधान पीठ ने ऐसा फैसला लिया।
सभी पक्षकारों से पूछा – दलील के लिए कितना वक्त चाहिए
सीजेाआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों से कहा कि वो बताएं कि उन्हें अपनी दलील रखने के लिए कितना वक्त चाहिए। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा- मुस्लिम पक्षकारों को मौजूदा सप्ताह और अगला पूरा सप्ताह दलीलें खत्म करने में लगेगा। हिंदू पक्षकारों ने कहा कि उस पर विपक्ष की दलीलों पर जवाब देने के लिए हमें दो दिन लगेंगे। धवन ने कहा कि उसके बाद मुझे भी दो दिन लगेंगे। निर्मोही अखाड़ा ने चार दिन का वक्त मांगा, पीठ ने कहा कि यह ज्यादा है हमें सुनवाई समय से खत्म करनी है सहयोग कीजिए, फिर अखाड़ा ने अपने तर्क दिए कि कई पक्ष छूट गए हैं इसलिए इतना वक्त तो लगेगा लिहाजा पीठ ने 4 दिन का समय निर्मोही अखाड़ा को भी दिया। फिर राय मशविरे के बाद रंजन गोगोई ने कहा कि जरूरत पड़ने पर सुनवाई के लिए एक घंटे का वक्त रोज बढ़ा दिया जाएगा और शनिवार को भी सुनवाई की जाएगी, लेकिन कोशिश हो कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर ली जाए।
पक्षकारों के बीच मध्यस्थता की रिपोर्ट सौंपी जाए: सीजेआई
चीफ जस्टिस ने कहा कि सभी पक्ष अपनी दलीलें 18 अक्टूबर तक पूरी कर लें। हमें मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए कि सुनवाई तय वक्त में खत्म हो जाए। सीजेआई ने मामले में पक्षकारों के मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने की मांग पर कहा कि अगर दो पक्ष आपस में मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझाने का प्रयास करना चाहते हैं तो वे कर सकते हैं। मगर सुनवाई जारी रहेगी। अगर मध्यस्थता पर कोई बात बनती है तो इसकी रिपोर्ट कोर्ट को दी जाए। इसे लेकर गोपनीयता बनी रहेगी। विवाद को हल करने के लिए अयोध्या वार्ता कमेटी मध्यस्थता करेगी। इसमें हिंदू और मुसलमान दोनों नेताओं को शामिल किया जाएगा। मध्यस्थता प्रक्रिया संभवत: अक्टूबर से शुरू होगी।
मध्यस्थता जारी रहेगी
अदालत ने यह भी साफ किया कि सभी पक्ष अदालत के बाहर मध्यस्थता जारी रख सकते हैं, फैसला कर सकते हैं और उसकी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत में जमा कर सकते हैं लेकिन इसके लिए अदालत की कार्यवाई नहीं रोकी जाएगी। यानी अब यह साफ हो चुका है कि सारे प्रयासों का निचोड़ निकाल कर सुप्रीम अदालत हर हाल में जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था। इसमें पूर्व जस्टिस एफएम कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। हालांकि, पैनल मामले को सुलझाने के लिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका।
हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला विराजमान।