नई दिल्ली । पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक मंदी के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। जीडीपी ग्रोथ में आई गिरावट को लेकर सरकार को चेताया और कहा कि यह इकनॉमिक स्लोडाउन मैन मेड क्राइसिस है, जो कुप्रबंधन के चलते पैदा हुई है। नोटबंदी इसका सबसे बड़ा कारण है और GST को जिस जल्दबाजी में बिना तैयारी के लागू किया गया उसका परिणाम अब दिख रहा है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में छिनीं 3.5 लाख नौकरियां
मोदी सरकार पर जॉबलेस ग्रोथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए पूर्व पीएम ने दावा किया कि अकेले ऑटोमोबाइल सेक्टर में ही 3.5 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर नौकरियां गई हैं, जिससे कमजोर तबके के मजदूरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
मनमोहन ने कहा कि पिछली तिमाही में विकास दर का 5% होना, यह बताता है कि अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है। भारत में तेज गति से विकास करने की क्षमता है। हमारा देश लगातार अर्थव्यवस्था के स्लोडाउन का जोखिम नहीं उठा सकता। इसलिए, मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह बदले की राजनीति को छोड़े और इस संकट से बाहर निकालने के लिए ठोस कदम उठाए।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 0.6% ग्रोथ चिंताजनक
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सिर्फ 0.6% की ग्रोथ हुई, जो परेशान करने वाली है। हमारी अर्थव्यवस्था कुछ लोगों की गलतियों से नहीं उबर पाई है। निवेशकों की भावनाएं उदासीन हैं। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए यह अच्छी खबर नहीं है।
पूर्व पीएम ने कहा, ‘घरेलू मांग और उपभोग में ग्रोथ 18 महीने के निचले स्तर पर है। जीडीपी ग्रोथ भी 15 साल में सबसे कम है। इसके अलावा टैक्स रेवेन्यू में भी कमी है। छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों तक में टैक्स टेररिज्म का खौफ है।’ इन्वेस्टर्स में भी आशंका का माहौल है और ऐसे संकेतों से पता चलता है कि इकॉनमी की रिकवरी अभी संभव नहीं है।
भारत की बेहतर अर्थव्यवस्था के जनक हैं मनमोहन सिंह
पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर की हैसियत से और फिर बाद में नरसिंह राव की सरकार में बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में विकास के रास्ते खोले, आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाकर देश को दुनिया की दौड़ में बराबरी पर ला खड़ा किया। बतौर प्रधानमंत्री 10 सालों में किए गए तमाम आर्थिक सुधारों की वजह से ही देश में आर्थिक मजबूती आई। यह मनमोहन सिंह के इकनॉमिस्ट दिमाग की ही देन थी कि जब दुनिया भर में आर्थिक मंदी का प्रकोप था और अमेरिका जैसा सुप्रीम पावर इस क्राइसिस में परेशान हो रहा था भारत पर उसकी छाप भी नहीं पड़ने दी। निश्चित तौर मौजूदा सरकार को मनमोहन सिंह की नीतियों को गौर से सुनना चाहिए और उनसे राय मशविरा लेना चाहिए।