मशहूर फिल्मकार और नए नवेले राजनेता कमल हासन भी हिंदी भाषा को देश की सर्वमान्य भाषा बनाने के मामले में कूद पड़े हैं। कमल हासन ने अपनी बात कहने के लिए एक वीडियो जारी किया और कहा कि 1950 में देशवासियों से वादा किया गया था कि उनकी भाषा और संस्कृति की रक्षा की जाएगी। कोई शाह, सम्राट या सुल्तान इस वादे को अचानक से खत्म नहीं कर सकता । तमिल हमेशा हमारी मातृभाषा रहेगी
तमिल की वकालत अंग्रेजी भाषा में भी की
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की अपील का अब कई नेता विरोध कर रहे हैं। अभिनेता और मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) नेता हासन ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया। वे अशोक स्तंभ और प्रस्तावना के बगल में खड़े होकर कह रहे हैं कि भाषा को लेकर एक और आंदोलन होगा, जो तमिलनाडु में जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शन की तुलना में बहुत बड़ा होगा। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन तमिल हमेशा हमारी मातृभाषा रहेगी और यह सारी बातें कमल हासन ने अंग्रेजी के साथ साथ तमिल में कही है।
Now you are constrained to prove to us that India will continue to be a free country.
You must consult the people before you make a new law or a new scheme. pic.twitter.com/u0De38bzk0
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) September 16, 2019
‘लोग अपनी भाषा और संस्कृति को छोड़ना नहीं चाहते’
हासन ने कहा कि बहुत सारे राजाओं ने भारत को संघ बनाने के लिए अपना राजपाठ छोड़ दिया। लेकिन लोग अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को छोड़ना नहीं चाहते। भारत या तमिलनाडु को इस तरह की लड़ाई की जरूरत नहीं है। देश के सभी लोग खुशी से बंगाली में अपने राष्ट्रगान को गर्व से गाते हैं और आगे भी ऐसा ही करते रहेंगे। क्योंकि, राष्ट्रगान लिखने वाले कवि ने राष्ट्रगान के भीतर सभी भाषाओं और संस्कृतियों को उचित सम्मान दिया है, इसलिए यह हमारा राष्ट्रगान बन गया है। ऐसी नीतियों की वजह से सभी को नुकसान होगा। वीडियो के अंत में उन्होंने कहा कि तमिल को हमेशा जिंदा रहने दो, देश को समृद्ध बनाओ।
अमित शाह ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की अपील की थी
कमल हासन ने दो मिनट का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर तमिल और अंग्रेजी में पोस्ट किया। अमित शाह ने 14 सितंबर को कहा था कि हिंदी हमारी राजभाषा है। हमारे देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो दुनियाभर में देश की पहचान को आगे बढ़ाए और हिंदी में ये सभी खूबियां हैं। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और बंगाल के नेता पहले ही इस पर विरोध जता चुके हैं।