Report:MediaSarkar,Bureau
बिहार के एक घूसखोर इंजीनियर सुखदेव महतो की संपत्ति जब्त की गई है।कोर्ट के आदेश पर पटना जिला प्रशासन जूनियर इंजीनियर की दो संपत्ति को जब्त कर रही है।पटना के ओल्ड जक्कनपुर में इंजीनियर की तीन मंजिला बिल्डिंग को जब्त किया गया है।उसकी अनुमानित कीमत डेढ़ करोड़ रू आंकी जा रही है।वहीं दूसरी संपत्ति नालंदा में है उसे भी बहुत जल्द जब्त कर लिया जाएगा।
जूनियर इंजीनीयर सुखदेव महतो पर आय से अधिक सम्पति का मामला दर्ज किया गया था।
ज्ञात हो कि निगरानी थाना काण्ड संख्या 76/07 में जूनियर इंजीनीयर सुखदेव महतो पर आय से अधिक सम्पति का मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद जांच किया गया।निगरानी के विशेष न्यायालय भागलपुर 2 के समक्ष सम्पति जब्ति सम्बंधित सात फ़ाइल किया गया था। जिसमे इंजीनियर की दो संपत्तियों में एक पटना और दूसरा नालंदा में 2 मंजिला बिल्डिंग को जब्त करना था।उसके बाद कोर्ट ने संपत्ति जब्ति का आदेश दिया है।
भागलपुर के अनुमंडल अभियोजन पदाधिकारी रमेंद्र कुमार ने बताया कि पटना की सम्पति का वर्तमान बाजार मूल्य डेढ़ करोड़ रू लगाया जा रहा है। वहीं नालंदा की संपत्ति भी बहुत जल्द जब्त की जाएगी।उन्होंने बताया कि ऐसी जब्त सम्पति को सरकार द्वारा लोक कल्याण में इश्तेमाल किया जाता है।अब बहुत जल्द सरकार उस मकान में स्कूल खोलेगी ताकि वहां के बच्चे पढ़ सकें।
पहले भी इस तरह की कार्रवाई की जा चुकी है
इसके पहले 2011 में 4 सितंबर को पहली बार, निगरानी विभाग ने पटना में पूर्व सचिव एस एस वर्मा की तीन मंजिला इमारत को जब्त किया था. एक प्राथमिक स्कूल को इस इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया. यह देश में इस किस्म का पहला उदाहरण था. मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर रघुवंश कुंवर के स्वामित्व वाली महलनुमा इमारतें समस्तीपुर और पटना में मिली थी. राज्य के पूर्व ड्रग कंट्रोलर वाइ.के. जायसवाल, राजस्व अधिकारी योगेंद्र प्रसाद सिंह, इंजीनियर श्रीकांत प्रसाद, पूर्व डीएफओ भोला प्रसाद, और पूर्व डीजीपी नारायण मिश्र और राजभाषा परिषद के पूर्व निदेशक बी.एन. चौधरी-इन सभी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले चले थे और इनमें से कईयों की संपत्ति को भी जब्त किया गया था.
30 जून, 2007 को सेवानिवृत्त हुए पूर्व डीजीपी मिश्र पर 1.45 करोड़ रु. की संपत्ति होने के कारण आय से अधिक संपत्ति का मामला चला. जायसवाल के पास 1.94 करोड़ रु. की संपत्ति होने का आरोप लगा. चौधरी की संपत्ति 4.21 करोड़ रु. की आंकी गई थी. निगरानी ब्यूरो के अधिकारियों ने उनके एक लॉकर से 1.54 करोड़ रु. नकद बरामद किए थे. यह लॉकर उनके बेटे के नाम था.
इसके अलावा कई औरऐसे मामले उजागर हुए जहां करोड़ो की अवैध संपत्ति जब्त की गयी और कुछ जगह पर स्कुल भी खोले गए. हालांकि अभी भी कई मामले कोर्ट में अटके पड़े है जिनमें फैसले का इंतजार है पर अभी जो फैसला भ्रष्टाचार के ताजे मामले पर आया है उसपर हुई तुरंत कार्रवाई का खास असर पड़ेगा.
पूर्व एम वी आई अधिकारी रघुवंश कुंवर के घर को भी जब्तकर उसमे बृद्धाश्रम खोलने का फैसला लिया था
इसके अलावा इसी तरह एक पूर्व एम वी आई अधिकारी रघुवंश कुंवर के घर को भी जब्तकर उसमे बृद्धाश्रम खोलने का फैसला लिया गया था.बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों के अवैध संपत्ति को जब्त करने के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए पटना जिला प्रशासन ने एक और भ्रष्ट अधिकारी रघुवंश कुंवर के आलीशान मकान को अपने कब्जे में ले लिया था. काली कमाई से बनाए गए चार मंजिला मकान में सरकार ने वृद्धाश्रम खोलने का निर्णय लिया था.पूर्व एमवीआई अधिकारी रघुवंश कुंवर पर 2011 से ही आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला चल रहा है. पटना जिला के अपर समाहर्ता वजैनुद्दीन अंसारी के नेतृत्व में पूरी कार्रवाई की गई थी.
अब इस ताजा मामला और कार्रवाई के बाद एकबार फिर भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों में भय का माहौल बनेगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ तल रहे मुहिम को कुछ रफ्तार मिल पाएगी.