Report:MediaSarkar,Bureau
सरकार की बात माने तो कश्मीर में सबकुछ ठीकठाक है, दावे तो कई हैं लेकिन एक दूसरा पक्ष ये भी है कि सरकारी दावे के उलट कई संगठन और एजेंसियां यह कहती है कि कश्मीर के हालात ठीक नहीं. वहां मानवाधिकार का जमकर उलंघन हो रहा है. कश्मीर के प्रमुख नेताओं को हिरासत में या नजरबंद रखा गया है.जेल के सलाखों के पीछे लोगों को रखा गया है .खासकर नाबालिग बच्चों को लेकर जो आंकड़े पेश किये गए हैं और कोर्ट में जो याचिका डाली गयी है उसपर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सख्ती दिखाई है .
आरोपों की जांच एक हफ्ते में की जाए : कोर्ट
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद नाबालिग लड़कों को हिरासत में रखने संबंधी आरोपों को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से कहा कि वह आरोपों की जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट दे। सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट उस दावे का समर्थन नहीं करती जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में लोग हाईकोर्ट नहीं पहुंच पा रहे हैं।’ कश्मीर में बच्चों को हिरासत में रखे जाने का आरोप लगाने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने 16 सितंबर को बताया था कि लोग हाईकोर्ट से संपर्क नहीं साध पा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट से संपर्क होने में दिक्कत का दावा गलत: सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस ए नजीर ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील हुजेफा अहमदी से कहा, ‘हमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मिली है जो आपके बयान का समर्थन नहीं करती है।प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि यदि आवश्यक हुआ, तो वह स्वंय श्रीनगर जाएंगे और वह उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश से भी इस संबंध में बातचीत करेंगे। शीर्ष अदालत कश्मीर में बच्चों को कथित रूप से हिरासत में रखे जाने के मुद्दे पर हस्तक्षेप के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि राज्य में सभी अदालतों के साथ-साथ लोक अदालतें भी काम कर रही हैं।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 1000 से ज्यादा लोग नजरबंद हैं। नजरबंद लोगों में नेताओं, अलगाववादियों, एक्टिविस्ट्स और वकीलों के अलावा तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं। करीब 100 लोगों को जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में भेजा गया है। फारूक को जनसुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा गया है।