Report:Sanjeev Kumar,MediaSarkar
यही है लोकमत की रिपोर्ट जिसमे महाराष्ट्र के तीन जगहों से प्रदूषण सर्टिफिकेट बनवाए गए और इस पूरे प्रोसेस का स्टींग कर लिया गया और केन्द्रीय मंत्रालय और मंत्री जी के विभाग की बखिया उधेड़ कर रख दी गयी .इस पूरे कवरेज के दौरान उक्त रिपोर्टर ने हिम्मत दिखाते हुए सारे कारनामे को कैद कर तिया
अब जब खबर छपने का वक्त आया तो निश्चित ही अखबार प्रबंधन पर दबाब आया होगा.आमतौर पर इस तरह की खबरों को मैनेज करने की कोशिश की जाती है. निश्चित ही यहां भी ऐसा ही हुआ होगा .मंत्रालय और विभाग ने भी कई मशक्कत किये होगे और लगता है कि यहां भी रिपोर्ट को दबाने की कोशिश की गयी, लेकिन सारे अखबार घराने या मीडिया हाउस की नीयत एक जैसी नहीं होती .लोकमत महाराष्ट्र की एक अहम अखबार है जो डंके की चोट पर अपना काम करता है .ऐसे में अगर अखबार अपनी बातों पर अडिग हो जाता है तो फिर टकराव के हालात बनते हैं , अभी जो परिदृश्य लोकमत का बना वो भी ऐसा ही कुछ हुआ. खबर रुकी नहीं विभाग को दिखाने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी वरना उनकी भद्द तो पिट ही जानी थी .
लेकिन इस पूरे वाकया का साईड इफेक्ट ये पड़ा कि राज्य के एक मंत्री का कोपभाजन उक्त पत्रकार को बनना पड़ा .जिस रिपोर्टर ने यह खबर बनायी अब उसपर मंत्री जी के अनुसार फर्जी रूप से कागज बनाने का मामला दर्ज होना है .आखिर ये हिमाकत इस रिपोर्टर ने कर कैसे लिया .
यहां भी वही हाल है जो पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में हुआ जब एक स्कूल में मील में नमक और रोटी परोसा जा रहा था. इस बेचारे रिपोर्टर पर भी शामत आ गई . अब महाराष्ट्र में भी ऐसा ही कुछ हुआ है. अभी ये दो ताजा मिसाल हैं इस बात के कि सच बोलो या दिखाया तो तेरी खैर नहीं . बहरहाल अब इंतजार है ऐसे पत्रकारों को अपने संस्थान समेत बाकि जगहों से क्या मदद मिल पाती है .