सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा। 25 और 26 अप्रैल को वाराणसी में बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के रोड शो में जो भीड़ दिखी वो मोदी में एक चमत्कारी नेतृत्व की झलक पाती दिखी। इस भीड़ को देख कर ये अंदाजा लगा कि लोगों को मोदी से चमत्कार की उम्मीद है। लेकिन, चमत्कार की ये उम्मीद ब्रांडिंग का कमाल है या ज़मीन पर दिखी उपलब्धियों के नतीजा है ? इस सवाल के जवाब खोजने की जगह भीड़ जयकारे के मौके तलाशती ही दिखी। अब हक़ीक़त जान लीजिए। सांसद विकास निधि के रूप में हर सांसद को पांच साल में 25 करोड़ रुपये मिलते हैं। इस साल 25 जनवरी तक नरेंद्र मोदी मात्र 16.04 करोड़ रुपये खर्च कर पाए थे। उत्तर प्रदेश में सांसदों ने औसतन इस दौरान 17.77 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। मतलब राज्य के सांसदों के औसतन खर्च से भी कम खर्च नरेंद्र मोदी ने किया है। अब पिछले 60 महीनों का हिसाब भी देखिए। 2014 में नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं से 60 महीने ही मांगे थे। मतदाताओं ने उन्हें भारी बहुमत के साथ 60 महीनों के लिए चुना भी था। अब, ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि ग्रामीण विकास के मानदंडों पर नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी अभी भी पिछड़ा क्षेत्र है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक मिशन अंत्योदय के तहत 15 पारामीटर्स पर वाराणसी 100 में 47 प्वाइंट ही स्कोर कर पाया है। इसमें जिन पारामीटर्स को शामिल किया गया है उनमें स्वास्थ्य, सफाई, कृषि, ग्रामीण आवास, भूमि विकास, पेयजल की उपलब्धता, ग्रामीण विद्युतीकरण, पशुपालन, गरीबी उन्मूलन, सामाजिक कल्याण, महिला एवं बाल विकास, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा हैं। गरीबी उन्मूलन में तो वाराणसी ने शून्य स्कोर किया है।
तो मतलब ये कि जो विकास के सबसे जोरदार दावे कर रहा था उसी का संसदीय क्षेत्र पिछले पांच सालों में विकास से दूर होता रहा। सांसद आदर्श ग्राम योजना का ऐलान करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह के सपने दिखाए थे वो सपने उनके गोद लिए गांवों में ही दम तोड़ गए। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के जयापुरा, नागेपुर और ककरहिया को गोद लिया है। अब ग्रामीण विकास मंत्रालय की रैंकिंग देखिए। इस रैंकिंग में जयापुरा पंचायत 43वें, नागेपुर 44वें और ककरहिया 54वें स्थान पर है। कुल मिलाकर तीनों पंचायत 59 महीने बाद भी पिछड़े गांवों की कतार में ही खड़े हैं। तो फिर विकास के दावों की पड़ताल ज़रूरी है। जाहिर है इस पड़ताल में वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी भी फिसड्डी सांसदों की कतार में ही हैं। इसलिए, सर्जिकल स्ट्राइस और मैं देश नहीं झुकने दूंगा जैसे सियासी स्लोगन ज़रूरी हैं। और सच ये है कि सर्जिकल स्ट्राइक 2014 से पहले भी होते रहे हैं और 2014 से पहले भी ये देश कभी किसी के सामने झुका नहीं है, अलबत्ता पाकिस्तान को दो टुकड़ों में तोड़ कर उसके एक लाख सैनिकों का आत्म समर्पण करवा चुका है। मतलब, सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, इतना चाहो तुम उसे, वो बेवफा हो जाएगा।