वर्षों से चले आ रहे राम मंदिर विवाद को लेकर एक बार फिर से देश की सर्वोच्च अदालत सुनवाई शुरु हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में देश के सबसे बड़े और विवादित मसले राम मंदिर विवाद पर सुनवाई होगी। कोर्ट फैसला करेगी कि अयोध्या के विवादित जमीन पर किसका मालिकाना हक है और कौन विवादित ढांचे पर हक पाएगा। सालों से विवाद का मसला बने इस जमीन पर देश की सबसे बड़ी अदालत में आज मुल्क के सबसे बड़े मसले पर सुनवाई कर रही है। राम जन्मभूमि से जुड़ा जमीन का यह मसला बेहद पेचीदा रहा है। पहले इलाकाबाद हाईकोर्ट ने इस मसले को निपटाने की कोशिश की, लेकिन सुलझ न सका।
क्या है विवाद?
साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। कोर्ट के फैसले ने तीनों में से कोई भी पक्ष सहमत नहीं हुआ और इलाहाबाद कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके तहत अयोध्या विवाद के टाइटल सूट यानी कीजमीन के मालिकाना हक से जुड़ा केस दायर हुआ, जिसपर आज कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई है।
क्या है टाइटिल सूट?
अयोध्या विवादित ढाचे को लेकर अगर बात करें तो साल 1950 में गोपाल सिंह विशारद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अयोध्या मसले पर याचिका दायर की और इस विवादित स्थल पर हिंदू रीति रिवाज से पूजा की इजाजत देने की मांग की गई। जिसके बाद साल 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित भूमि पर नियंत्रण की मांग की। निर्मोही अखाड़े की मांग के बाद मुस्लिम सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी विवादित भूमि पर अपना दावे पेश कियटा। जिसके बाद साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया, हालांकि इलाहाबाद कोर्ट के फैसले से रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड तीनों ही नाखुश थे। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने इस मामले में पहले ही साफ कर दिया है कि ये सुनवाई सिर्फ जमीन विवाद को लेकर की जाएगी, किसी और मसले से इसका कोई लेना-देना नहीं है।