नई दिल्ली:भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत अब रिश्वत लेना ही नहीं देना भी मंहगा पड़ेगा.जिसमें कारावास की सीमा बढ़ाकर 3 से7 साल तक कर दी गई है.राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नए भ्रष्टाचार निरोधक कानून को मंजूरी देते हुए अब नया कानून लागू किया है,जिसमें’सेक्शुअल फेवर’अब रिश्वत के अंर्तगत ही आता है.इस नए भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत अब सेक्शुअल फेवर की मांग करने वाले या उसे स्वीकार करने वालो को रिश्वत माना जाएगा.सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि कानून में और भी परिवर्तन हुए हैं जिसके अनुसार जनसेवकों, नेताओं, नौकरशाहों और बैंकरों को अभियोजन से संरक्षण प्रदान किया जाएगा.
भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत रिश्वत के लिए ‘अनुचित लाभ’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है. संशोधित कानून के तहत, जनसेवक को अनुचित लाभ देने वाले व्यक्ति को 7 साल तक कैद या जुर्माना हो सकता है. जिन व्यक्तियों को जबरन रिश्वत देनी पड़ती है, उसे सात दिन के अंदर ही कानून प्रवर्तन प्राधिकार या जांच एजेंसी को मामले की रिपोर्ट करनी होगी.कानून के मुताबिक, ये संरक्षण रिटायर जनसेवकों को भी मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जी वेंकटेश राव ने कहा कि मुफ्त तोहफा, मुफ्त छुट्टी की व्यवस्था, महंगे क्लब की सदस्यता और आतिथ्य मांगने और स्वीकार करने या करीबी मित्रों या रिश्तेदारों को रोजगार प्रदान करने, किसी चल या अचल संपत्ति को खरीदने के लिए डाउन पेमेंट या किसी क्लब की सदस्यता के लिए भुगतान आदि.’जैसी और भी चीजें रिश्वत के दायरे में ही होंगी। सेक्शुअल फेवर की मांग सभी अपेक्षाओं में सर्वाधिक निंदनीय है.
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत कहा कि संशोधन से ये साफ हो गया कि जनसेवकों के नेक कामों की जांच नहीं होगी.संशोधित रोधी कानून के तहत ‘रिश्वत’ शब्द का मतलब केवल आर्थिक रिश्वत या धन के रूप में ही नहीं बल्कि महंगे क्लब की सदस्यता और आतिथ्य भी शामिल होगा.रामनाथ कोविंद ने 30 साल से चल रहे पुराने भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 1988 को अब मंजूरी दे दी है.
विधि आयोग की फरवरी 2015 की रिपोर्ट में ‘उचित’ और ‘अनुचित वित्तीय या अन्य लाभ’ के बीच भेद का सुझाव दिए जाने के बाद आधिकारिक संशोधन पेश किया गया था.नए संशोधन के तहत अब किसी तीसरे पक्ष के जरिये भी रिश्वत लेना अपराध माना जाएगा और अब प्रॉपर्टी पर धोखे से कब्जा करना या अवैध तरीके से संसाधनों को अपने पास रखना भी अपराध होगा.अब पुलिस ऐसे किसी भी कर्मचारी की संपत्ति जब्त कर सकती है जो उसने गलत तरीके से अर्जित की हो.