नई दिल्ली । मोदी सरकार ने 2016 में पूरे देश को नोटबंदी के जरिये बदलाव लाने की कोशिश की थी, जिसके कारण पूरे देश को परेशानी का सामना करना पड़ा। रातों-रात सरकार ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी स वाल यहीं उठ रहा है कि आखिर नोटबंदी से हासिल क्या हुआ। सरकार जहां फायदे गिना रही है तो वहीं विपक्ष नोटबंदी को विफल बताते हुए उसे मंदी की वजह बता रहा है। सरकार पर लग रहे आरोपों पर सफाई देते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि समाज में सफाई के लिए नोटबंदी जरूरी थी और अगर जरूरत पड़ी तो इसे फिर से करेंगे।
उन्होंने कहा कि पूर्व आरबीआई प्रमुख रघुराम राजन के द्वारा किए गए नीतियों में बदलाव के कारण ये नोटबंदी सफल होने में इतनी मुश्किलें आई। राजीव कुमार ने इस बात से साफ इंकार कर दिया कि अर्थव्यवस्था की मंदी की वजह नोटबंदी है ।उन्होंने कहा कि जीडीपी में आई गिरावट की असली वजह बैकिंग क्षेत्र में बढ रहे एनपीए है।
जरूरत पड़ी तो फिर से करेंगे नोटबंदी
राजीव कुमार ने अपने बयाान में कहा कि सरकार के द्वारा लाई गयी नोटबंदी समाज में फैली हुई गंदगी को हटाने के बहुत जरूरी था। उन्होंने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि नॉन परर्फोमिंग एसेट का बैकिंग क्षेत्र में बढ जाने से बैकिंग सेक्टर में परेशानी आने लगी जिसकी वजह से इंडस्ट्रीज को लोन मिलना बंद हो गया जिससे आर्थिक वृद्धि में भारी गिरावट आ गयी । आरबीआई के द्वारा दी गयी रिर्पोट के आकड़ों के आधार पर 99.3 नोट वापस आ चुके हैं।इस बात को लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने नोटबंदी के ऊपर टिप्पणी करते हुए कहा कि मोदी सरकार के द्वारा लायी गई नोटबंदी विफल रही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं के द्वारा किए दावों पर आपत्ति जताते हुए राजीव कुमार ने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। राजीव कुमार ने कहा कि मुझे आश्चर्य होता है कि अर्थव्यवस्था के इतने बड़े जानकार लोग इस तरह की बातें कैसे कर सकते हैं।नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने अपनी बातचीत के दौरान इस बात का दावा करते हुए कहा कि अगर समाज की सफाई के लिए नोटबंदी की फिर से आवश्यकता पड़ेगी तो वो जरूर इसके लिए फिर से प्रयास करेंगे । अब देखना है कि मोदी सरकार और नीति आयोग इस नोटबंदी को लेकर क्या नई रणनीति तैयार करेगी और वो भी कितनी कारगार साबित होगी ।