पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत पिछले 36 घंटों में ज्यादा बिगड़ गई है। उन्हें पूरी तरह से फुल लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत के बारे में देशभर में दुआओं का दौर चल रहा है। यज्ञ, पूजा-पाठ चल रहे हैं। उनके अच्छे स्वास्थ के लिए देशभर में लोग दुआएं मांग रहे हैं। भाजपा के तमाम नेता और मंत्री एम्स में मौजूद है। अटल जी की शख्सियत ऐसी है कि किसी भी राजनीतिक दल या उनके नेताओं के साथ उनका व्यक्तिगत मतभेद नहीं रहा। भले ही वैचारिक मतभेद हो, लेकिन उनकी व्यक्तिगत मतभेद नहीं रहा। जिसकी वजह से तमाम दूसरे दल के नेता भी एम्स पहुंच रहे हैं।
आपको बता दें कि वाजपेयी को किडनी की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, यूरिन में संक्रमण के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स ने उनकी मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया कि पिछले 36 घंटों में उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई है। वो जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं।
किस बीमारी से जूझ रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी साल 2009 से ही डिमेंशिया से पीड़ित हैं। इस बीमारी के चलते व्यक्ति चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। वो अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाता है। उसकी याददाश्त इतनी कमजोर हो जाती है कि वो कभी-कभी अपना नाम,अपना जन्मदिन, अपने घर का पता, साल और महीना तक भूल जाता है। इस बीमारी की वजह से व्यक्ति बोलते वक्त शब्द तक भूल जाता है।
डिमेंशिया नाम की इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के मूड में भी बार-बार बदलता रहता है। उम्र बढ़ने की वजह से अक्सर लोग इसके शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी के चलते व्यक्ति को नाम, जगह, तुरंत की गई बातचीत को याद रखने में परेशानी होने लगती है। इस बीमारी के चलते व्यक्ति ठीक से खाना तक नहीं खा पाता है। ये बीमारी दूसरी बीमारियों की वजह बनती है।
महानतम शख्सियतों में से एक
अटल जी ऐसे नेता है, जिनके आलोचकों की संख्या न के बराबर है। उनकी शख्सियत ऐसी है कि कोई उनकी आलोचना नही कर सका। विपक्षी दल भी अटल जी से इतने प्रभावित हैं कि वो भी उनका अनुसरण करते हैं। जब वो बोलते थे तो लोग शांत होकर सुनते थे। जनता हो या फिर नेता हर कोई उन्हें सुनना चाहता है। भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। अटल बिहारी वायपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वो बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं।