नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों की तैयारी देखकर लगने लगा है कि चुनाव के लिए सब तैयार है। सपा-बसपा का गठबंधन हो या फिर कांग्रेस की महागठबंधन की तैयारी। जहां विपक्षी पार्टियां भाजपा के खिलाफ चक्रव्यू रचने की तैयारी में जुट गई है तो वहीं भाजपा एक बार फिर से मोदी लहर चलाने में जुटी है। इसी का नतीजा है कि पिछले एक महीने में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुल पांच बार उत्तर प्रदेश की यात्रा कर चुके हैं। अलग-अलग बहाने से पीएम मोदी बार-बार यूपी आ रहे हैं। वाराणसी से सांसद नरेन्द्र मोदी ने 28 जून को मगहर से अपने यूपी मिशन की शुरुआत की और 30 जुलाई को लखनऊ के दो दिवसीय दौरे के साथ इसका अंत किया। कुल मिलाकर कहे तो एक महीने में पीएम 5 बार यूपी के दौरे पर आए। ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही कि आखिर पीएम बार-बार यूपी क्यों आ रहे हैं? आइए पीएम मोदी के यूपी दौरे का गणित समझे ….
आखिर क्यों बार-बार यूपी आ रहे हैं पीएम
28 जून को पीएम मोदी ने मगहर से यूपी यात्रा की शुरुआत की जो नोएडा, बनारस, मिर्ज़ापुर, शाहजहांपुर और दो दिवसीय लखनऊ दौरे के साथ आकर थमा है। जानकर कह रहे हैं कि ये दौर अभी जारी रहेगा। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक पीएम लगभग महीने में एक बार यूपी दौरा जरूर करेंगे। फिर चाहे को किसी कार्यक्रम के जरिए हो, किसी शिलान्यास के जरिए हो, किसी उद्घाटक के ज रिए हो या सभा। भले ही सभा राजनैतिक न हो, लेकिन पीएम के भाषण में अक्सर भाजपा सरकार के योजनाओं, उसकी सफलताओं के ही चर्चें होते हैं। वहीं निशाने पर हमेशा सपा और बसपा आती है।
चुनावी मूड में भाजपा और मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की यूपी यात्राओं ने ये साबित कर दिया है कि लोकसभा चुनाव अभी भले दूर हों लेकिन वो चुनावी मूड में आ गए हैं। मोदी की इन यात्राओं का मक़सद भले ही संतों की समाधि पर जाना या फिर परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास करना रहा हो, लेकिन उनके भाषणों में विपक्ष के लिए उनके तेवर साफ दिखे हैं। अगर बात करें तो मगहर से लेकर लखनऊ तक की उनके कार्यक्रम के भाषणों पर गौर करें तो साफ- साफ दिखता है कि उनका ये भाषण चुनावी भाषण है। कोई ऐसी सभा या कार्यक्रम नहीं था, जहां उन्होंने कांग्रेस, सपा और बसपा या पूर्व की सरकारों को आड़े हाथों न लिया हो।
गठबंधन का तोड़ सिर्फ पीएम मोदी के पास
मोदी की इन यात्राओं का एक मतलब विपक्ष को कमजोर करने की तरफ देखा जा रहा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में 80 में से 71 सीटें मिली थीं , लेकिन उसके बाद तीन लोकसभा उपचुनावों में पार्टी की ज़बर्दस्त हार हुई। भाजपा को अपनी सीटें गंवानी पड़ी। ये वो सीटें थी, जो भाजपा के गठ के तौर पर देखी जाती थी, लेकिन उपचुनावों में ये सीटें भाजपा के हाथों से निकल गई। भाजपा की इस हार की सबसे बड़ी वजह बनी सपा-बसपा गठबंधन । सपा-बसपा ने हाथ मिलाकर भाजपा के जीत के क्रम को तोड़ दिया। मोदी लहर को थाम दिया। वहीं अब इस गठबंधन में कांग्रेस के भी शामिल होने की पूरी संभावना है और जानकारों के मुताबिक गठबंधन की स्थिति में भाजपा के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
भाजपा के पास पीएम मोदी के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं
इस गठबंधन के तोड़ के रूप में मोदी की इन यात्राओं को देखा जा रहा है। यूपी में उपचुनावों में मिली हार के बाद मोदी के साथ-साथ भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भाजपा के लिए ये गठबंधन खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में गठबंधन के खिलाफ मोदी ने खु द मोर्चा संभाल लिया है। जहां पीएम मोदी लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही यू पी में सक्रिय हो गए हैं। वहीं आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी सक्रियता उतनी नहीं दिखाई दे रही है। दरअसल आने वाले कुछ महीनों में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इन चुनावी राज्यों में उनकी ये सक्रियता नहीं दिख रही है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह महागठबंधन की संभावना ही है।
वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा के पास मोदी ही विकल्प
यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनावों में जिस तरह से भाजपा को हार मिली, उसकी बड़ा वजह सीएम योगी भी रहे हैं। उनकी कट्टर हिंदुत्व वाली छवि और यूपी की स्थिति सुधारने में उनकी नाकामियाबी को जनता ने भाजपा को हराकर दिखा दिया। ऐसे में इस महागटभंदन के खिलाफ मोदी के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। यूपी के अलग-अलग हिस्सों में हुए पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम के जरिए वोट र्स को लुभाने की कोशिश की है। अगर पीएम मोदी के कार्यक्रम पर गौर करें तो देखा जा सकता है कि उन्होंने आधी से ज़्यादा लोकसभा सीटों को कवर कर लिया है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने यूपी दौरे से जातीय समीकरणों को भी साधने की कोशिश की है । मगहर में जहां उन्होंने दलितों और पिछड़ों को साधने की कोशिश की तो वहीं नोएडा में सैमसंग कंपनी का उद्घाटन के जरिए युवाओं को। आज़मगढ़ और मिर्ज़ापुर के ज़रिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पुराने गढ़ में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की तो शाहजहांपुर से सीधे समाजवादी परिवार को चुनौती दे डाली। ऐसे में कहना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी ने यूपी को दिल पर ले लिया है। हालांकि अगले लोकसभा में 70 सीटें मिलनी तो मुश्किल है, लेकिन पीएम सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचना चाहते हैं।